आज 03 जून 2025 है। आज धूमावती जयंती है। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी धूमावती की उत्पत्ति का दिन माना जाता है। 10 महाविद्याओं में धूमावती सातवीं देवी हैं, जिनकी पूजा से केतु समस्त कई ग्रहों का दोष दूर होता है। साथ ही सभी समस्याएं भी दूर होती है।
10 महाविद्याओं में से 7वीं महाविद्या है देवी धूमावती
मां धूमावती को रोग शोक और दुख को नियंत्रित करने वाली महाविद्या माना जाता है। पद्म पुराण में बताया गया है की यह देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन है और इनका अन्य नाम अलक्ष्मी भी है। परंतु इनका स्वरूप मां लक्ष्मी से बिल्कुल उल्टा है। शास्त्रों के अनुसार मां धूमावती पीपल के पेड़ में निवास करती हैं। ऋग्वेद में मां सती के धूमावती रूप को सुतरा कहा गया है। मां धूमावती के कुछ अन्य नामों में ज्येष्ठा, अलक्ष्मी और निर्ऋति भी हैं।
यह रहेगा शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मंगलवार 3 जून को पड़ रही है और इसी दिन धूमावती जयंती मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि का आरंभ 2 जून रात 08:34 पर होगा और समापन 3 जून की रात 09:56 पर होगा। उदयातिथि के मुताबिक 3 जून को ही धूमावती जयंती मनाई जाएगी।
देवी धूमावती की पूजा के लिए 3 जून 2025 को दोपहर 11:58 से दोपहर 12:51 तक का समय शुभ रहेगा।
केतु से संबंधित दोष होते हैं दूर
मान्यता है कि धन, वैभव, सुख, समृद्धि के साथ दरिद्रता को दूर करने के लिए देवी धूमावती की पूजा करते हैं। तंत्र साधना में मारण और उच्चाटन के लिए देवी धूमावती की पूजा करते हैं। इनकी आराधना से केतु से संबंधित दोष मिटते हैं। इन्हें भोग में मीठा नहीं बल्कि नमकीन का प्रसाद चढ़ाया जाता है। जिस पर देवी धूमावती की कृपा होती है, उसे केतु परेशान नहीं करता है।