07 जुलाई: आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन, मां तारा महाविद्या की पूजा का विधान, जलाएं यह दीपक

आज 07 जुलाई 2024 है। आज आषाढ माह की गुप्त  नवरात्रि का दूसरा दिन हैं। हिंदू धर्म में  नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना जाता है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र,  आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं।  आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त  आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है ।

सरसों तेल का जलाएं दीपक

नवरात्रि के दूसरे दिन सरसो तेल का दीपक जलाना चाहिए। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा महाविद्या की पूजा का विधान है। इनकी पूजा में सरसों तेल का दीपक जलाने से लाभ मिलता है और मनचाहे फल की भी प्राप्ति होती है।

माँ तारा देवी को समर्पित

गुप्त नवरात्रि का आज दूसरा दिन है जो मां तारा देवी को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन अघोरी विशेष रूप से महाविद्या तारा को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते हैं। महर्षि वशिष्ठ ने सबसे पहले इनकी आराधना की थी। शत्रुओं का नाश करने वाली मां तारा सौंदर्य, रूप ऐश्वर्य की देवी मानी जाती हैं. साथ ही आर्थिक उन्नति, भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली भी हैं। तारापीठ में देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसलिए इस स्थान को नयनतारा भी कहा जाता है। यह पीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम में स्थित है। एक अन्य कथा के अनुसार, माना जाता है कि तारा देवी राजा दक्ष की दूसरी पुत्री थीं, जिनका मंदिर शिमला से 13 किमी दूर शोघी में स्थित है।

इस तरह करें गुप्त  नवरात्रि में पूजा अराधना

गुप्त  नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ कलश स्थापना करने का भी महत्व है। कलश स्थापना के साथ सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा के दौरान माता को लोंग व बताशे का भोग चढ़ाना चाहिए। इसके साथ कलश स्थापना करते समय मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें। इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती है। और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती है।

करें इन नौ देवियों की पूजा का विधान

ज्योतिषविदों के अनुसार देवी मां काली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, देवी कमला आदि शक्तियों की पूजा गुप्त  नवरात्र में की जाती है। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण मां कुष्मांडा की दो दिन 9 और 10 जुलाई को पूजा-आराधना की जाएगी।