आज 15 जुलाई 2024 है। आज आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि का दसवां दिन व नवमी हैं। इस बार गुप्त नवरात्रि दस दिन की है। जिसमें आज नवमी है। गुप्त नवरात्रि का दसवां दिन माता कमला को समर्पित हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना जाता है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है ।
सरसो का जलाएं दीपक
माता मातंगी शक्ति और समृद्धि की देवी कहा जाता है। इनकी पूजा के लिए गुप्त नवरात्रि के 9वें दिन सरसो तेल का दीपक जलाना चाहिए।
माँ कमला की पूजा
आज गुप्त नवरात्रि की आख़िरी महाविद्या देवी कमला का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। शास्त्रों में मां कमला को धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। इनकी आराधना से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही इनका पूजन करने से जीवन से दरिद्रता, संकट, गृहकलह और अशांति हमेशा-हमेशा के लिए दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। शास्त्रों में इनके रूप को वर्णित करते हुए बताया गया है कि मां को श्वेत वर्ण के चार हाथी सूंड में सुवर्ण कलश लेकर सुवर्ण के समान कांति लिए हुए स्नान करवाते हैं। मां कमला कमल पर आसीन कमल पुष्प धारण किए हुए सुशोभित होती हैं।
इस तरह करें गुप्त नवरात्रि में पूजा अराधना
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ अराधना करें। सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा के दौरान माता को लोंग व बताशे का भोग चढ़ाना चाहिए। इसके साथ मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें। इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती है। और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती है।