कोविड-19 महामारी फैलने पर जब दुनिया के तमाम देशों में जब लॉकडाउन लगाया गया, तो सबसे बड़ी चिंता लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की जताई गई। यहां तक संयुक्त राष्ट्र ने भी सभी सदस्य देशों को एक पत्र जारी करके कहा कि सरकारें अपने देश के लोगों को भूखे मत रहने दें। ऐसे में आबादी के लिहाज़ से दूसरे सबसे बड़े देश भारत पर सबसे बड़ा संकट था, लेकिन भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की नई योजना के साथ 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 81 करोड़ लोगों के लिए भोजन का इंतजाम किया।
विश्व खाद्य दिवस, जिसे हर वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, पर भारत सरकार की इस उपलब्धि के बारे में जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि भारत की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य वितरण योजना है। इस योजना पर बात करने से पहले हम एक नज़र डालते हैं इतिहास पर।
दि फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) संयुक्त राष्ट्र की इकाई है जो भुखमरी से लड़ने के लिए विश्व स्तर पर काम करती है। हर व्यक्ति को अच्छी गुणवत्ता का भोजन मिले, यह इस संगठन का मकसद है। यह संगठन 130 देशों में सक्रिय है। संगठन का मानना है कि दुनिया का हर व्यक्ति भुखमरी को खत्म करने में योगदान दे सकता है। एफएओ का मानना है कि दुनिया में पर्याप्त मात्रा में खाद्य उत्पादन होता है और हर किसी को पर्याप्त भोजन मिल सकता है। चिंताजनक बात यह है कि दो दशक के अथक प्रयासों के बवजूद आज भी 870 मिलियन लोग गंभीर रूप से भुखमरी का शिकार हैं। बच्चों की बात करें तो 171 मिलियन पांच वर्ष की आयु से कम के बच्चे हैं, जो कुपोषित हैं। वहीं 104 मिलियन बच्चों का वजन औसत से कम है। इनमें 55 मिलियन बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार हैं।
इस बार की थीम
हर साल दुनियाभर में अलग-अलग थीम के साथ वर्ल्ड फूड डे मनाया जाता है । वर्ल्ड फूड डे 2021 की थीम कृषि और खाद्य संगठन के मुताबिक “हमारे कार्य हमारा भविष्य हैं- बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन ।
भारत में खाद्य मंत्रालय का इतिहास
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत को खाद्य की भारी कमी का सामना करना पड़ा था और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 01 दिसम्बर, 1942 को गवर्नर जनरल्स काउंसिल के वाणिज्य सदस्य के अधीन एक खाद्य विभाग की स्थापना की गई थी। गृह विभाग ने एक नए खाद्य विभाग का गठन किया और बेंजामिन जॉर्ज होल्ड्सवर्थ, सीआईई, आईसीएस पहले सेक्रेटरी फूड बने।
बेंजमिन ने पदभार ग्रहण करते हुए कहा, “मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि भारत सरकार के खाद्य विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है और इसने चीनी और नमक (लेकिन चाय अथवा कॉफी नहीं) सहित खाद्य पदार्थों के मूल्य और संचलन को नियंत्रित करने से संबंधित सभी मुद्दे अपने हाथ में ले लिए हैं। खाद्य पदार्थों से संबंधित निर्यात व्यापार नियंत्रण संबंधी प्रशासन इस विभाग को हस्तांतरित करने के संबंध में अधिसूचना जारी की जा रही है। सेना के लिए खाद्य पदार्थों की खरीद, जो इस विभाग का एक कार्य होगा, एतद्पश्चात् घोषित की जाने वाली तारीख तक आपूर्ति विभाग द्वारा जाती रहेगी।”
विभाग के कार्य में वृद्धि होने के कारण अगस्त, 1943 में खाद्य सदस्य का एक अलग पोर्टफोलियो बनाया गया। वर्ष 1946 में, जब भारत की अंतरिम सरकार बनी। तब डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले खाद्य एवं कृषि विभाग के मंत्री बने।
आज़ादी के बाद बढ़ती गई खाद्य मंत्रालय की जिम्मेदारी
भारत के आज़ाद होने के बाद खाद्य विभाग का पुनर्गठन किया गया। 29 अगस्त, 1947 को खाद्य मंत्रालय ने साकार रूप लिया। उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1947 में शर्करा और वनस्पति निदेशालय खाद्य मंत्रालय का एक अंग था। अधिक प्रशासनिक कार्य कुशलता और मितव्ययिता को ध्यान में रखकर 01 फरवरी, 1951 को कृषि मंत्रालय को खाद्य मंत्रालय के साथ मिला दिया गया, जिससे खाद्य और कृषि मंत्रालय का गठन हुआ। समय के साथ-साथ कार्य की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि होने के कारण दो अलग मंत्रालयों अर्थात् खाद्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय का गठन अक्टूबर, 1956 में किया गया, लेकिन 17 अप्रैल, 1957 को फिर से इनका विलय करके खाद्य और कृषि मंत्रालय का नाम दिया गया। 30 दिसम्बर, 1958 को केंद्रीय और राज्य भंडारण निगमों से संबंधित कार्य खाद्य और कृषि मंत्रालय के अंतर्गत खाद्य विभाग को हस्तांतरित किया गया। और इसी तरह मंत्रालय का कारवां आगे बढ़ता गया ओर नई-नई जिम्मेदारियां बढ़ती गईं।