आज आदि शंकराचार्य की 1234वीं जयंती है। आदि शंकराचार्य जयंती हर साल वैशाख के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि या पूर्णिमा चंद्र पखवाड़े के पांचवें दिन के दौरान मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, आदि शंकराचार्य ने सभी को अद्वैत वेदांत की मान्यता और दर्शन के बारे में सिखाया। उन्होंने उपनिषदों, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों के मूल सिद्धांतों के बारे में शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाया। माना जाता है कि उन्होंने हिंदू धर्म का प्रचार कई देशों का दौरा किया। भारत के चारों ओर चार मठ की स्थापना उन्ही के द्वारा की गई । इनमें उत्तर में कश्मीर, दक्षिण में श्रृंगेरी, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका शामिल हैं।
शंकराचार्य बचपन से ही प्रतिभा सम्पन्न बालक थे
आदि शंकराचार्य को जगतगुरु शंकराचार्य के नाम से जाना जाता है । उनका जन्म केरल राज्य में नम्बूदरी ब्राह्राण वंश में हुआ था । आज इसी वंश के ब्राह्मण बद्रीनाथ मंदिर के रावल होते हैं। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य की गद्दी पर नम्बूदरी ब्राह्मण ही बैठते हैं। शंकराचार्य बचपन से ही प्रतिभा सम्पन्न बालक थे। 12 की उम्र में उन्होने सभी शास्त्रों का अध्यन कर लिया था । आदि शंकराचार्य भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक संतों और दार्शनिकों में से एक हैं। उन्होंने मात्र 16 वर्ष की अवस्था में 100 से भी अधिक ग्रंथों की रचना की थी । और 32 की उम्र में उन्होंने केदारनाथ में समाधि ले ली ।
भगवान शिव के माने जाते हैं अवतार
मन्यताओं के अनुसार आदि शंकराचार्य भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं । माना जाता है कि
आज से लगभग 2500 साल पहले लोगों के बीच जब अशांति का माहौल बन गया था । और आध्यात्मिकता की कमी हो गई थी । तो ऋषि और देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी थी। इसके बाद, भगवान शिव ने दुनिया को जगाने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया। तब भगवान शिव आदि शंकराचार्य के रूप में अवतरित हुए थे ।
More Stories
फिल्म का जलवा, देशभर में इतने करोड़ तो वर्ल्डवाइड में की इतनी कमाई
उत्तराखंड: कल बंद रहेगा उत्तराखंड सचिवालय, जारी हुआ आदेश
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जवानों को किया सम्मानित, की यह बड़ी घोषणाएं