March 29, 2024

Khabribox

Aawaj Aap Ki

अल्मोड़ा: गंगा को स्वच्छ रखने के संकल्प के साथ हुआ राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय एवं नमामि गङ्गे के संयुक्त तत्वाधान में “योग साधना पद्धतियों का आध्यात्मिक-वैज्ञानिक आधार एवं चिकित्सकीय महत्व” विषय पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आज समापन हो गया है। समापन सत्र का शुभारंभ अल्मोड़ा परिसर के अधिष्ठाता प्रशासन एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 पी0एस0बिष्ट, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 मधुलता नयाल (विभागाध्यक्ष एवं संयोजक, मनोविज्ञान विभाग), विशिष्ट अतिथि प्रो0 एस0एस0 पथनी (पूर्व विभागाध्यक्ष, जंतु विज्ञान विभाग),विषय विशेषज्ञ डॉ भानू प्रकाश जोशी(विभागाध्यक्ष, योग विभाग, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी) और कार्यक्रम संयोजक एवं योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन चन्द्र भट्ट ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर योग विज्ञान विभाग की छात्राओं ने अतिथियों का बैज अलंकरण किया।

त्रिदिवसीय कार्यशाला की आख्या प्रस्तुत की

इसके पश्चात योग विज्ञान विभाग की छात्राओं द्वारा वंदना एवं स्वागत गीत किया गया। इसके पश्चात योग विज्ञान विभाग के शिक्षक रजनीश जोशी ने त्रिदिवसीय कार्यशाला की आख्या प्रस्तुत की। इसके पश्चात अतिथियों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया तथा योग एवं समाज हित में अविस्मरणीय योगदान एवं उत्कृष्ट कार्य हेतु डॉ0 भानू प्रकाश जोशी, योग विभागाध्यक्ष, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी को “योग-मणि” सम्मान से सम्मानित किया गया इसके साथ ही योग विज्ञान विभाग के शिक्षक रजनीश कुमार जोशी, विश्ववजीत वर्मा, लल्लन कुमार सिंह, गिरीश अधिकारी, चन्दन सिंह लटवाल, चन्दन बिष्ट, मुरलीधर कापड़ी, विद्या नेगी, मोनिका भैसोड़ा, मोनिका बंसल को जनहित में निःशुल्क योग शिविर आयोजित करने तथा पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, जल संरक्षण, रक्तदान आदि विभिन्न जनजागरूक अभियानों के माध्यम से समाज को जागरूक करने हेतु अतिथियों द्वारा “उत्कृष्ट सेवा सम्मान” से सम्मानित किया गया। इसके पश्चात मुख्य अतिथि प्रो0 प्रवीण बिष्ट ने अपने उदबोधन में कहा कि योग वैदिक विज्ञान है जिसे आज पूरा विश्व विज्ञान के रूप में इसे स्वीकार कर रहा है और इसकी उपयोगिता को समझ रहा है।

योग विज्ञान विभाग हमेशा समाजहित में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है

योग विज्ञान विभाग हमेशा समाजहित में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। इस सराहनीय कार्य हेतु योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट एवं उनकी पूरी टीम प्रशंसा के योग्य हैं। विशिष्ट अतिथि प्रो0 एस0एस0पथनी ने योग को व्यवहारिक रूप में अपनाकर अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की बात कही।

योग विज्ञान विभाग की स्थापना एवं स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना तपस्या का ही परिणाम है

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ भानु जोशी ने कहा कि अल्मोड़ा स्वामी विवेकानंद की तपस्थली रही है और सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा में  योग विज्ञान विभाग की स्थापना एवं स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना उनकी तपस्या का ही परिणाम है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपने जीवन में उतारने की बात कही। इसके पश्चात कार्यशाला के दौरान क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हेतु प्रियंका पपने, द्वितीय स्थान हेतु सीमा एवं  रेखा चंद, तृतीय स्थान हेतु हिमन्ती और पारुल दानू एवं चतुर्थ स्थान में बबिता  सुप्याल और हर्षिता पुनेठा को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात मुख्य अतिथि प्रो0 बिष्ट ने सभी को गंगा को स्वच्छ रखने के लिए गङ्गा शपथ दिलायी। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 मधुलता नयाल ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि योग और मनोविज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। योग शरीर है तो मनोविज्ञान उसकी आत्मा है। और ये दोनों ही हमारी वैदिक संस्कृति के प्रतिफल हैं। योग को जीवन में अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है।

सभी अतिथियों के आभार व्यक्त किया

अंत में कार्यशाला के संयोजक एवं योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट ने सभी अतिथियों के आभार व्यक्त किया। इसके पूर्व आज तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में मोनिका भैसोड़ा ने मुख्य विषय के रूप में ध्यान योग के वैज्ञानिक,चिकित्सकीय एवं आध्यात्मिक महत्व का वर्णन किया ध्यान आत्म साक्षात्कार हेतु की जाने वाली साधना पद्धति है यह सप्तांग योग, अष्टांग योग  आदि का एक महत्वपूर्ण अंग है इस सत्र में सर्वप्रथम विद्यार्थियों को योग शास्त्र में वर्णित स्थूल ध्यान का अभ्यास कराया गया स्थूल ध्यान में अनाहत चक्र में गुरु के स्वरूप का ध्यान किया गया हमारे ऋषि मुनि महर्षि सुश्रुत आदि व्यक्तियों ने ध्यान की अवस्था में ही संसार के कल्याण में विशेष योगदान दिया है विभिन्न अनुसंधानो  द्वारा यह साबित हो चुका है कि ध्यान द्वारा मस्तिष्क की संरचना, क्रोमोसोम की संरचना आदि में भी परिवर्तन आता है जिससे व्यक्ति की जीवन अवधि आदि का दीर्घ होना एवं  आधि-व्याधि व्याधियों का निवारण होता है ध्यान का समग्र स्वास्थ्य की प्राप्ति में अपना महत्वपूर्ण योगदान होता है।

प्राणायाम हमारी जीवन शक्ति है

द्वितीय सत्र में  गिरीश अधिकारी ने प्राणायाम के वैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय  अनुप्रयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राणायाम हमारी जीवन शक्ति है, जब तक हम श्वास-प्रश्वास की क्रिया कर रहे हैं तभी तक हम जीवित हैं, भगवान शिव ने साढ़े तीन लाख नाड़ियां बतायी हैं।  जिसमें उन्होंने तीन नाड़ियों  इडा, पिंगला ,सुषुम्ना को प्रमुख नाड़ी बताया है, इसके माध्यम से हम अपने संपूर्ण शरीर के तंत्रिका तंत्र को शुद्ध कर शारीरिक मानसिक रोगों को दूर कर सकते हैं ।

प्राण वायु के चलायमान होने पर हमारा मन भी चलायमान  (चंचल) होता है

उन्होंने कहा प्राण वायु के चलायमान होने पर हमारा मन भी चलायमान  (चंचल) होता है प्राण वायु के स्थित होने पर हमारा मन भी स्थिर हो जाता है अतः प्रणाम के माध्यम से हम अपने शरीर की चंचलता को दूर कर सकते हैं। तृतीय सत्र में डॉ नवीन भट्ट ने नदियों के वैज्ञानिक, आध्यात्मिक एवं आर्थिक महत्व को समझाते हुए उनकी साधना एवं स्वच्छता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योग साधना पद्धतियों का आध्यात्मिक-वैज्ञानिक आधार एवं चिकित्सकीय महत्व विषय बिना नदियों की प्राथमिकता के बिना अधूरा है। योग साधना में नदियों का महत्वपूर्ण स्थान है। इस संस्कृति में, हम नदियों को सिर्फ जल के स्रोतों के रूप में नहीं देखते। हम उन्हें जीवन देने वाले देवी देवताओं के रूप में देखते हैं। योग साधना हम स्वस्थ करती है तो नदियॉं का इसमें अत्याधिक महत्व स्थान है। भारत की संस्कृति में योग साधकों ने हमेशा नदियों के तटों को ही साधना के लिए चुना है। ऐसे में हम सब ने नदियों को महत्व को भी समझना होगा और योग साधना पद्धतियों का आध्यात्मिक-वैज्ञानिक आधार एवं चिकित्सा को नदियों से जोड़ कर इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा नमामि गंगे में अर्थ गंगा को इन्हीं विषयों के साथ जोड़ा गया है, जिस पर हम सब को कार्य करना है।
चतुर्थ सत्र में विश्ववजीत वर्मा द्वारा योग में रोजगार के अवसर विषय पर अपनी बात रखी औऱ उसके पश्चात त्रिदिवसीय कार्यशाला से सम्बंधित विषयों और क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गयी।

मौजूद रहे

इस अवसर पर लल्लन कुमार सिंह,रजनीश जोशी, विश्वजीत वर्मा,गिरीश अधिकारी, विद्या नेगी, चन्दन लटवाल, चन्दन बिष्ट,डॉ भूपेंद्र वाल्दिया, डॉ धारा बल्लभ पांडे, बबिता सुपयाल,बबीता खत्री, हेमलता अवस्थी,  अमितेश, संगीता, दीपिका पुनेठा, स्वेता पुनेठा,भावेश पांडे, दिग्विजय, सुरेंद्र, सपना सहित 300 से अधिक प्रतिभागी मौजूद रहे।