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अल्मोड़ा: शहरफाटक एवम जैंती के विक्रेताओं ने दिया सामूहिक त्याग पत्र

शहर फाटक के विक्रेताओं ने खाद्य विकास खंड अधिकारी लमगड़ा के माध्यम से खाद्य एवम रसद अनुभाग एवम उपभोक्ता मामले उत्तराखंड देहरादून शासन को  ज्ञापन सौंप अपना सामूहिक त्याग पत्र दिया ।

शासन प्रशासन से हमारी मांग की गुहार लगाने पर भी मांगों पर विचार नहीं किया गया

ज्ञापन के माध्यम से कहा कि  शहर फाटक खाद्यान गोदाम में 24 जुलाई को एक बैठक का आयोजन किया गया । जिसमें सभी सस्ता गल्ला विक्रेता उपस्थित रहे । बैठक में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई । जिसमें कहा गया कि शासन प्रशासन से। बार- बार हमारी मांग की गुहार लगाने पर भी मांगों पर विचार नहीं किया गया । तभी सभी सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने मजबूर होकर कहा कि जब तक हमारी मांगों में अमल नहीं किया जाता तब तक सभी सामूहिक इस्तीफा देने के लिए मजबूर है । जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन और विभाग की होगी । अल्मोड़ा से प्रदेश सलाहकार दिनेश गोयल प्रदेश संयोजक अभय साह व जिला महामंत्री केसर सिंह खनी भी इस दौरान मौजूद थे ।

विक्रेताओं की मांग

1- पर्वतीय क्षेत्र के प्रत्येक विक्रेता को उचित एवं सम्मानजनक मानदेय स्वीकृत किया जाय।

2. जब तक पर्वतीय क्षेत्र की नेट कनेक्टिविटी की पूरी व्यवस्था नहीं हो जाती तथा शासन द्वारा नेट-खर्च स्वीकृत नहीं किया जाता तब तक सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्र को बायोमेट्रिक कार्य से मुक्त रखा जाये।

3. विक्रेताओं का खाद्यान का लाभंस बढ़ाया जाये तथा राज्य खाद्य योजना में भी कन्द्रीय खाद्य योजना के बराबर लाभांश दिया जाय।

4. प्रत्येक राजकीय खाद्य भण्डार मे धर्मकोटा स्थापित किया जाये तथा 100 प्रतिशत खाद्यन तोलकर  दिया जाए या खाद्यान्न के बोरे में नेट वजन  सुनिश्चित किया जाय।

5.प्रत्येक विक्रेता का सामूहिक जीवन बीमा शासन द्वारा कराया जाए ।

6.किसी भी विक्रेता की मृत्यु होने पर दुकान का लाइसेंस यदि उसके पारिवारिक जन प्रार्थना पत्र देते हैं । तो उसके परिवार को दिया जाए ।

7 . ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी विक्रेता का चयन ग्राम सभा की खुली बैठक में  तथा नगर में समाचार पत्रों के माध्यम से किया जाता है तथा लाइसेंस  साफ छवि व ईमानदार व्यक्ति को ही विभाग द्वारा पूरी छानबीन कर दिया जाता है । सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता भी एक सम्मानित व्यक्ति है अतः उसे कालाबाजारी करने वाला तथा भ्रष्ट न समझा जाय न ही सम्बोधित किया जाय। ऐसा करने के बजाय यदि शासन विभाग सिस्टम को दुरुस्त कर अपने विभाग की तरफ ध्यान देता तो आज विक्रेताओं की समस्या का समाधान हो गया होता । 

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