स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र , योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय द्वारा युग पुरुष स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर दृश्यकला संकाय के सभागार में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी, मुख्य वक्ता पंडित अमित कुमार मिश्र (ज्योतिषाचार्य, काशी हिंदू विश्वविद्यालय), डॉ अखिलेश चतुर्वेदी, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो प्रवीण बिष्ट (अधिष्ठाता प्रशासन) बतौर अतिथि मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में संगीत विभाग की छात्राओं ने स्वागत गीत,सरस्वती वंदना गीत का गायन किया। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी को लेकर गीत का गायन किया। इसके उपरांत मंचासीन अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
पर्वतीय क्षेत्र में वेदशाला बनने को लेकर संस्कृति और वेद विज्ञान केंद्र, स्वामी विवेकानंद केंद्र मिलकर प्रयास कर रहे
मुख्य अतिथि रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में वेदशाला बनने को लेकर संस्कृति और वेद विज्ञान केंद्र, स्वामी विवेकानंद केंद्र मिलकर प्रयास कर रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द जी एक विचार हैं। अल्पायु में उन्होंने ऊर्जा से कार्य किया है। आध्यात्मिक एवं मानसिक विकास के लिए उन्होंने वैश्विक रूप में कार्य किया है। हिमालय में स्वामी जी के आगमन को लेकर प्रो भंडारी ने कहा कि हिमालय हमको ज्ञान देता है और अल्मोड़ा ज्योतिष ज्ञान केंद्र है। स्वामी विवेकानन्द जी यहां आए हैं। यहां एक प्राकृतिक शक्ति है जो स्वामी जी जैसे कई मनीषियों को यहां खींच लाती है। उन्होंने युवाओं को स्वामी जी के कदमों में चलने के लिए प्रेरित किया उन्होंने समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजकों के कार्यों की सराहना की।
स्वामी विवेकानन्द जी जैसे आध्यात्मिक पुरुषों के पदचिन्हों का अनुसरण करें
मुख्य वक्ता पंडित अमित कुमार मिश्र (ज्योतिषाचार्य, काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी जैसे आध्यात्मिक पुरुषों के पदचिन्हों का अनुसरण करें। उन्होंने कहा कि जीवात्मा बहुत सूक्ष्म है। पंचतत्त्वों से शरीर की रचना हुई है। उन्होंने शास्त्रों की चर्चा की। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों को सुनने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने ज्योतिष विद्या पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ज्योतिष शास्त्र प्रत्यक्ष शास्त्र है। ज्योतिष में हमारे ऋषियों ने योगदान दिया है। हमारे विद्यार्थी आर्यभट्ट के शून्य एवं पाई सूत्र , श्रीधराचार्य प्रमेय, रामानुजम के पाई सूत्र आदि को श्लोक के माध्यम से समझें और इन मनीषियों के योगदान को स्मरण करें।
हमारे ऋषियों ने विज्ञान को प्रस्तुत किया है
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो प्रवीण बिष्ट (अधिष्ठाता प्रशासन) ने कहा कि हमारे ऋषियों ने विज्ञान को प्रस्तुत किया है। हमारे समृद्ध प्राचीन ज्ञान, प्राचीन संस्कृति को आगे ले जाने की आवश्यकता है। हमारे युग पुरुष स्वामी विवेकानन्द जी के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है।
हमारे ज्योतिषशास्त्र में पंचांग के महत्व है
डॉ अखिलेश चतुर्वेदी और ज्योतिषाचार्य गौरव मिश्र ने कहा कि हम प्राचीन ज्ञान पर काम करें। हमारे ज्योतिषशास्त्र में पंचांग के महत्व है। वह गलत नहीं है। व्याख्यानमाला में ज्योतिषाचार्य गौरव मिश्रा का कुलपति ने शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया।
व्याख्यानमाला का संचालन योग विज्ञान विभाग के रजनीश जोशी और डॉ नवीन भट्ट (निदेशक, विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र) ने आभार जताया।
बैठक में मौजूद रहे
व्याख्यानमाला में प्रो इला साह (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), डॉ नवीन भट्ट (निदेशक, विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र), प्रो एस. ए. हामिद, गौरव मिश्र (ज्योतिषाचार्य),प्रो निर्मला पंत, प्रो एम.एम.जिन्नाह, प्रो शेखर चन्द्र जोशी (अधिष्ठाता शैक्षिक), प्रो सोनू द्विवेदी (संकायाध्यक्ष, दृश्यकला), डॉ सबीहा नाज, डॉ मुकेश सामंत (कुलानुशासक), डॉ आर.सी.मौर्य, डॉ. संजीव आर्या, डॉ. कुसुमलता आर्य, डॉ ललित जोशी,डॉ योगेश मैनाली, भावेश पांडे, श्री लल्लन सिंह, श्री गिरीश अधिकारी,श्री रजनीश जोशी, हेमा अवस्थी के साथ सैकड़ों संख्या में शिक्षक, छात्र-छात्राएं शामिल हुए।