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अल्मोड़ा: बुरांश में समय से पूर्व फूल आने के वैज्ञानिक कारणों का गहन अध्ययन जरूरी- वरिष्ठ वैज्ञानिक केएस. कनवाल

अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। संरक्षण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें हिमालयी क्षेत्र में औषधीय पादपों की विविधता एवं महत्व के बारे में बताया गया। वेबिनार के माध्यम से आयोजित कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों के 90 छात्र-छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं और संस्थान के शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।

हिमालयी क्षेत्र में औषधीय पादपों की बताई गई विविधता

आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि खडं शिक्षा अधिकारी कोटाबाग अंशुल बिष्ट ने छात्र-छात्राओं को विद्यालय परिसर में औषधीय पादपों की नर्सरी तैयार करने और उनके उपयोगों के विषय पर जानकारी एकत्रित करने एवं भविष्य में पर्यावरण संस्थान से सहयोग लेने की बात कही। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केएस कनवाल ने जलवायु परिवर्तन में जैव विविधता पर होने वाले दुष्प्रभावों, हृास आदि विषयों पर जानकारी दी।

विविध पादपों के फिनोलॉजी चक्र में देखने को मिल रहा परिवर्तन

बताया कि वर्तमान समय में बुरांश, काफल जैसे विविध पादपों के फिनोलॉजी चक्र में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि बुरांश में समय से पूर्व फूल आना, काफल का जल्दी पकना आदि वैज्ञानिक कारणों का गहन अध्ययन करना अति आवश्यक है।

इस अवसर पर मौजूद रहे

इस मौके पर डॉ. अमित बहुखंडी, दीप चंद्र तिवारी, हिमानी तिवारी, डॉ. आईटी भट्ट आदि मौजूद रहे।

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