पर्वतीय जिलों के पहले मेडिकल कॉलेज सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। आलम यह है कि मेडिकल कॉलेज में भी अल्ट्रासाउंड के लिए मरीज चक्कर काटने को मजबूर हैं। खासकर एक दिन में नंबर नहीं आने से दूर दराज से पहुंच रहे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।
बीते जनवरी में एनएमसी की मान्यता मिली थी
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को बीते जनवरी में एनएमसी की मान्यता मिली थी। जिसके बाद अल्मोड़ा समेत अन्य पर्वतयी जिलों के मरीजों को यहां बेहतर उपचार की उम्मीद जग गई थी। लेकिन यहां भी मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि अस्पताल में एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट होने से यहां हर दिन 35 से 40 मरीजों के ही अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं। ऐसे में कई बार मरीजों को यहां अल्ट्रासाउंड के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे है। भीड़ अधिक होने से कई बार मरीजों को दूसरे दिन आना पड़ रहा है। इससे आर्थिक बोझ समेत मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। मरीजों ने मेडिकल कॉलेज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
हर दिन 35 से 40 मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है- डॉ. अजय आर्या
डॉ. अजय आर्या, एमएस मेडिकल कॉलेज बेस अस्पताल का कहना है कि एक रेडियोलॉजिस्ट हर दिन 25 से 30 अल्ट्रासाउंड कर सकती है। लेकिन यहां भीड़ अधिक होने के चलते मरीजों की सुविधा के लिए हर दिन 35 से 40 मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है।