सोबन सिंह विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय एवं रामकृष्ण कुटीर के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा संकाय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन शोधार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया।
G20 के अंतर्गत ‘नारी सशक्तीकरण एवं युवाओं के संदर्भ में स्वामी विवेकानन्द का वैश्विक संदेश’ विषयक संगोष्ठी के दूसरे दिन आयोजित हुए तकनीकी सत्र में दर्जनों शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन कर स्वामी विवेकानन्द जी के महिला सशक्तिकरण पर दृष्टि डाली।
प्रथम तकनीकी सत्र
प्रथम तकनीकी सत्र में अध्यक्ष रूप में डॉ. दिवा भट्ट, मुख्य अतिथि प्रवर्जिका आसत्त प्रना, सेमिनार संयोजक प्रो. भीमा मनराल, विषय विशेषज्ञ डॉ. ममता पंत, विशिष्ट अतिथि नंदा (राजस्थान) सहित शारदा मठ कसारदेवी की अध्यक्ष माता जी सहित सन्यासी, शोधार्थी, छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। दूसरे तकनीकी सत्र में अध्यक्ष रूप में डॉ.अरुण कुमार चतुर्वेदी और संयोजक रूप में डॉ धर्मवीर सिंह मौजूद रहे। सत्र का संचालन डॉ .चंद्र प्रकाश फुलोरिया (आयोजक सचिव) एवं डॉ. अंकिता ने किया।
समापन सत्र
इसके उपरांत आयोजित हुए समापन अवसर पर मुख्य अतिथि रूप में पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड माननीय भगत सिंह कोश्यारी, सत्र अध्यक्ष रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जगतसिंह बिष्ट, परिसर निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि सर्वलोकानंद, डॉ. ध्रुव रौतेला,सेमिनार संयोजक प्रो. भीमा मनराल, डॉ. चन्द्र प्रकाश फूलोरिया (आयोजक सचिव), डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट (उप परीक्षा नियंत्रक) आदि ने संयुक्त रूप से किया।
97 शोध पत्रों का वाचन शोधार्थियों द्वारा किया गया
डॉ.चंद्र प्रकाश फुलोरिया (आयोजक सचिव) ने संचालन करते सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय एवं रामकृष्ण कुटीर द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों की जानकारी दी। इस संगोष्ठी में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन रूप से 97 शोध पत्रों का वाचन शोधार्थियों द्वारा किया गया।
स्वामी विवेकानन्द जी के चिंतन को लेकर विद्वानों और संतों का जुड़ना अपने आप में गौरवशाली क्षण
सेमिनार की संयोजक प्रो. भीमा मनराल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि शिक्षा संकाय में स्वामी विवेकानन्द जी के चिंतन को लेकर विद्वानों और संतों का जुड़ना अपने आप में गौरवशाली क्षण है।विवेकानन्द जी के दर्शन हमारे विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
देश तभी आगे बढ़ सकता है जब महिलाओं की उन्नति हो
विशिष्ट अतिथि के रूप में रामकृष्ण मिशन, दिल्ली के स्वामी सर्वलोकानंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी का चिंतन था कि देश तभी आगे बद्व सकता है जब महिलाओं की उन्नति हो। इसलिए महिलाओं को शिक्षित करते हुए इस देश को विकसित करने के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा समाज के लिए महाऔषधि है। उन्होंने आगे कहा कि इस संगोष्ठी का लाभ लेकर युवा अपने को संस्कारित करें और आदर्शों को अपने भीतर आत्मसात करें।
भारत की आध्यात्मिक ऊर्जा ने पुनः भारत को स्थापित किया
मुख्य अतिथि भगत सिंह कोश्यारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत माता और जगत माता की शक्ति को स्वामी विवेकानन्द जी ने विश्व पटल पर रखा। उन्होंने कहा कि हमारे पतन के काल में भले ही हम नीचे गिरे हैं,लेकिन भारत की आध्यात्मिक ऊर्जा ने पुनः भारत को स्थापित किया है। स्वामी जी पर अपनी बात रखते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने नारी शक्ति को महान शक्ति बनाने के लिए कार्य किया। उन्होंने कहा कि भारत के गौरव को ऊंचा करने के लिए महिलाओं और युवाओं का योगदान काफी है। युवाओं को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा की युवा मोबाइल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट तो सीखें ही, साथ ही आध्यात्मिक इंटेलीजेंस सीखें। उन्होंने आयोजकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
भारतीय ज्ञान परंपरा में नारी सबसे ऊपर
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में नारी सबसे ऊपर है। नारी सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी के चिंतन का जब हम अध्ययन करते हैं तो हमें यह बात स्पष्ट नजर आती है कि विवेकानन्द जी ने अल्पकाल में ही विश्व को दर्शन दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति से विश्व को परिचय कराया। उनका चिंतन भारत के लिए था। उनके विचार हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। युवाओं को अपने उद्बोधन में कहा कि नवीन पीढ़ी को विवेकानन्द जी का साहित्य पढ़ना चाहिए। उन्होंने आयोजकों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
विवेकानन्द जी ने भारत के निर्माण, महिलाओं के उन्नयन के लिए कार्य किया
परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में आये हुए विद्वानों ने स्वामी विवेकानन्द जी के ज्ञान, दर्शन से नवीन जानकारियां साझा की है। जो हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। स्वामी विवेकानन्द जी ने भारत के निर्माण, महिलाओं के उन्नयन के लिए कार्य किया है। उन्होंने संगोष्ठी के लिए सभी का आभार जताया। समापन सत्र का संचालन डॉ.चंद्र प्रकाश फुलोरिया (आयोजक सचिव) ने किया।समापन सत्र की दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ ही विधिवत शुरुआत हुई। शिक्षा संकाय के शिक्षकों द्वारा अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर, बैज अलंकरण कर एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। संकाय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत का गायन किया।
इस अवसर पर मौजूद रहे
इस अवसर पर शिक्षा संकाय के डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट,डॉ. संगीता पवार, डॉ. नीलम, डॉ.संदीप पांडे, डॉ. देवेंद्र चम्याल, डॉ. ललिता रावल, डॉ. पूजा, डॉ.अंकिता, डॉ. सरोज जोशी,डॉ. ममता कांडपाल, मंजरी जोशी, डॉ. देवेंद्र धामी, डॉ. डी पी यादव, प्रो. जी. एस नयाल, प्रो वी.डी एस नेगी, डॉ.मनोज कुमार टम्टा, डॉ. विनीता, डॉ. रवींद्र, डॉ. कुसुमलता आर्या,डॉ. पुष्पा वर्मा, डॉ. पुष्पा वर्मा, डॉ. अरशद हुसैन, डॉ.धनी आर्या, दीपक खोलिया, राजपाल,डॉ. ललित जलाल, विपिन जोशी, कुंदन लटवाल, डॉ. मनोज कार्की, पंकज कार्की (अध्यक्ष,छात्रसंघ), देवाशीष धानिक(अध्यक्ष,छात्र महासंघ),डॉ अशोक उप्रेती आदि के साथ 77 यूके बटालियन के कैडेट्स उपस्थित रहे।