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अल्मोड़ा: बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस का हुआ आयोजन, उनके योगदान व‌ आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास पर की चर्चा

अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में राजकीय महाविद्यालय लमगड़ा, अल्मोड़ा में बीते कल शनिवार को बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाई गई ।

बिरसा मुंडा के योगदान पर कहीं यह बात

इस अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया गया। जो शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर हेमन्त कुमार बिनवाल, और अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रेनू जोशी ने की। कार्यक्रम में बिरसा मुंडा के योगदान और आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने बिरसा मुंडा की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, उनके जीवन-मूल्यों और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर विद्यार्थियों और शिक्षकों ने जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर और उनकी समस्याओं पर विचार साझा किए।

बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया

कार्यक्रम के संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर हेमन्त कुमार बिनवाल ने अवगत कराया कि बिरसा मुंडा (1875-1900) एक महान स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय नेता थे, जिन्हें ‘धरती आबा’ (पृथ्वी पिता) के नाम से सम्मानित किया जाता है। वे झारखंड के एक आदिवासी परिवार में जन्मे थे। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन और जमींदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष किया, जो आदिवासी समाज के शोषण का कारण थे। उन्होंने ‘उलगुलान’ (विद्रोह) का नेतृत्व किया, जो आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया आंदोलन था। उनके प्रयासों से आदिवासी समाज में एकजुटता और जागरूकता आई। 25 साल की अल्पायु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने अदम्य साहस और संघर्षों से सामाजिक न्याय और समानता के लिए एक आदर्श स्थापित किया।

रहें उपस्थित

इस अवसर पर महाविद्यालय के  सहायक पुस्तकालयअध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह नेगी, रेनु असगोला, पूर्व कोषाध्यक्ष छात्र गौरव सिंह बिष्ट, अंजली आर्य, प्रीति, विद्या जखोलिया, प्रियंका बोरा आदि उपस्थित रहे |

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