बिहार विधानसभा चुनाव: बिहार में NDA की प्रचंड जीत, बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल, पीएम ने दी बधाई, बताई एतिहासिक सफलता

देश दुनिया की खबरों से हम आपको रूबरू कराते रहते हैं। एक ऐसी खबर हम आपके सामने लाए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद आज शुक्रवार को नतीजे सामने आ गये है।

रोमांचक मुकाबले

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार में हुए विधानसभा चुनावों के रुझानों/परिणामों में NDA ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। अभी तक प्राप्त रुझानों और परिणामों के मुताबिक एनडीए 203 सीटों पर बढ़त बनाए हुए जबकि महागठबंधन 33 सीटों पर आगे है वहीं अन्य-6 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। बिहार चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली प्रतिक्रिया दी है। जिस पर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के सहयोगी दलों को बधाई दिया है। उन्होंने बिहार की जनता को एनडीए की ऐतिहासिक सफलता के लिए हृदय से धन्यवाद किया। प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी हेडक्वार्टर पहुंचे।इस दौरान उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहें। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिहार ने 2010 के बाद का सबसे बड़ा जनादेश एनडीए को दिया है। 

बिहार में 10वीं बार छाए नीतीश कुमार

बिहार विधानसभा चुनाव के आज नतीजे सामने आ गये है। इस बार मुख्य मुकाबला एनडीए गठबंधन और महागठबंधन के बीच देखने को मिला। आज हम आपको बिहार विधानसभा चुनाव का इतिहास बताएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार में वर्ष 1951 से लेकर 2020 तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। दरअसल 2005 की फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी या गठबंधन की सरकार नहीं बन पाने के कारण अक्टूबर में दुबारा चुनाव कराए गए थे‌। इस वजह से यह आंकड़ा 17 है।

बिहार विधान सभा का इतिहास

• 1935 में भारत सरकार अधिनियम के बाद बिहार और उड़ीसा को विभाजित कर दिया गया।
• इस अधिनियम ने ब्लूटूथ सरकार की द्विसदनीय प्रणाली स्थापित की।
• प्रथम बिहार विधान परिषद की स्थापना 22 जुलाई 1936 को हुई थी।
• 1947 के बाद 1952 में भारत के संविधान के तहत बिहार विधान सभा (बिहार विधान सभा) का गठन किया गया।
• पहले जिले में 331 सदस्य थे, जिनमें 152 और 179 शामिल थे।
• बिहार विधान सभा का पहला सत्र 20 अप्रैल, 1952 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित किया गया था।
• पिछले कुछ वर्षों में बिहार विधानसभा में सीटों की संख्या 243 हो गई है।
• विधानसभा में एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष भी होता है, जो सदस्य चुना जाता है।
• बिहार विधान सभा के वर्तमान अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी हैं।

चुनाव के परिणाम

• 1967 में कांग्रेस को 318 में से 128 सीटें मिलीं, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) ने 199 में से 68 और जन क्रांति दल ने 60 में से 13 सीटें जीतीं। इन चुनावों के बाद थोड़े-थोड़े समय के लिए कुल चार मुख्यमंत्री बने। उसी चुनाव में जनसंघ ने भी 271 सीटों पर लड़कर 26 पर जीत हासिल की थी।
• 1972 में कांग्रेस ने 259 में से 167 सीटें जीतकर सत्ता पाई, जबकि विपक्ष बुरी तरह पिछड़ गया। उस दौरान भी कुछ समय राष्ट्रपति शासन लगा और फिर केदार पांडे, अब्दुल गफूर और जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री बनें।
• 1977 में जनता पार्टी की लहर चली और उसने 311 में से 214 सीटें जीत लीं। कांग्रेस को सिर्फ 57 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कर्पूरी ठाकुर और रामसुंदर दास ने इस दौर में मुख्यमंत्री पद संभाला।
• 1980 में कांग्रेस (इंदिरा) ने वापसी की और 311 में से 169 सीटें जीत लीं। इसके बाद तीन साल तक जगन्नाथ मिश्र और फिर चंद्रशेखर सिंह मुख्यमंत्री रहे।
• 1985 में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, उसे 323 में से 196 सीटें मिलीं। इस कार्यकाल में भी बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, सत्येंद्र नारायण सिन्हा और फिर से जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री बने।
• 1990 के चुनावों में जनता दल ने पहली बार मैदान में उतरकर 276 में से 122 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस को 71 और भाजपा को 39 सीटें मिलीं। इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने और लंबे समय तक सत्ता में रहे। 1990 के दशक में लालू यादव का दबदबा था।
• 2000 का चुनाव में झारखंड अब तक बिहार का हिस्सा था। कुल 324 सीटों पर लड़ाई हुई और 162 सीटों का जादुई आंकड़ा जरूरी था। राजद ने 293 सीटों पर जोर आजमाया लेकिन 124 पर ही सिमट गई। भाजपा को 67, समता पार्टी को 34 और कांग्रेस को महज 23 सीटें मिलीं। इसी साल नवंबर में झारखंड राज्य का गठन हुआ और बिहार की राजनीति का नक्शा बदल गया।
• 2005 में फरवरी में चुनाव हुए। राजद ने 215 सीटों पर किस्मत आजमाई लेकिन 75 पर ही रुकी। जदयू 55 और भाजपा 37 सीटें जीत पाई। कांग्रेस तो 10 सीटों पर ही सिमट गई। नतीजा यह हुआ कि किसी को बहुमत नहीं मिला और राज्य पर राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। भाजपा को 103 में से 37 सीटे प्राप्त हुईं तो कांग्रेस को 84 में से महज 10 सीटों पर जीत हासिल हुई. ऐसे में 122 सीटों पर स्पष्ट बहुमत किसी को नहीं मिल पाया और कोई गठबंधन मिलकर भी स्थायी सरकार नहीं बन पाया।
• 2010 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी के साथ गठबंधन में थी। इस चुनाव में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 115 पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने 102 में 91 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, आरजेडी 168 सीटों पर लड़कर महज 22 सीटे ही जीत पाई थी। जबकि, लोक जनशक्ति पार्टी 75 सीटों में से केवल 3 सीटें ही जीत सकी थी। इस बार भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने थे।
• 2015 के चुनाव में भी दो प्रमुख गठबंधन थे। एक तरफ जदयू, राजद, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का महागठबंधन था। जिसमें जनता दल यूनाइटेड ने 71 सीटे जीती थी। भारतीय जनता पार्टी को 53 सीटें मिलीं। इस चुनाव में कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी.चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने।
• बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू ने 122 जबकि भाजपा ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जीतन राम मांझी को जदयू ने अपने खाते से 7 सीटें दी थी, वहीं भाजपा ने मुकेश सहनी की वीआईपी को अपने कोटे से सीटें दी थी। चुनाव नतीजों में राजद ने 75 सीटें जीती थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बनी। भारतीय जनता पार्टी ने 74 सीटें जीती और दूसरे नंबर की पार्टी बनी। वहीं, जेडीयू ने 43 सीटें ही मिली और 2010 की सबसे बड़ी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। कांग्रेस को 19 सीटें मिली. लोजपा को एक सीट मिला, जबकि अन्य दलों को 31 सीटें मिली। सरकार एनडीए की बनी थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने थे।