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कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा , सरकार की लापरवाही ,लाखों श्रद्धालुओं की जान डाली गई जोखिम में – पारितोष जोशी

अल्मोड़ा: अल्मोड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष पारितोष जोशी ने कहा कि
एक निजी लैब ने टेस्ट की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए फर्जी आधार कार्ड जमा करके टेस्ट किए। निजी लैब ने ज्यादा बिल भुगतान पाने के लिए ऐसा किया  । आज प्रैस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि हरिद्वार कुंभ मेले में सरकार की ओर से ज्यादा से ज्यादा कोरोना रैपिड एंटीजेन और आरटी-पीसीआर टेस्ट कराए गए। जिसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने 9 और कुंभ स्वास्थ्य विभाग ने 11 निजी लैबों के साथ अनुबंध किया था।

कंपनी ने सरकार से ज्यादा भुगतान पाने के लिए सैंपलिंग की संख्या ज्यादा दिखाई

हरियाणा की जिस निजी कंपनी पर फर्जीवाड़े के आरोप लग रहे हैं,वह कंपनी कुंभ मेला स्वास्थ्य विभाग के साथ अनुबंधित थी।कुंभ मेले में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कोरोना टेस्ट बड़े पैमाने पर किए गए। मेला अवधि के दौरान 20 से 40 हजार तक कोरोना टेस्ट प्रतिदिन किए गए। टेस्ट घोटाला करने वाली निजी कंपनी पर आरोप है कि कंपनी ने सरकार से ज्यादा भुगतान पाने के लिए सैंपलिंग की संख्या ज्यादा दिखाई।इसके लिए फर्जी आधार कार्डों पर नेगेटिव रिपोर्ट दी गई।उसके अलावा एक व्यक्ति के एक से अधिक टेस्ट करके भी उन्हें नेगेटिव रिपोर्ट थमा दी गई।

कोरोना जांच के नाम पर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ

पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक एल आई सी एजेंट विपन मित्तल को आए एक मैसेज से उनका माथा ठनका और उन्होंने एक आरटीआई दायर की।इसके बाद आई सी एम आर ने जांच शुरू की और कुंभ मेले के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। सूत्रों के अनुसार मित्तल के पास 22 अप्रैल को एक मैसेज आया जिसमें कहा गया कि उनकी कोविड जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है।खास बात यह है कि उन्होंने टेस्ट कराया ही नहीं था।अपने निजी डेटा के खतरे में होने की शंका के बीच उन्होंने पड़ताल शुरू की।जिला स्तर से शुरू होकर आरटीआई तक पहुंची खोज के बाद एक बड़ा गोलमाल सामने आया,जिसे देश का सबसे बड़ा फर्जी कोविड जांच घोटाला कहा जा रहा है।

जांच में पता चला कि दिए गए नाम और पते फर्जी हैं

अखबार के मुताबिक मित्तल ने बताया कि मेरी कोविड 19 रिपोर्ट कह रही थी कि मैं नेगेटिव था लेकिन मैंने जांच नहीं कराई थी।मैं जिला स्तर पर अधिकारियों से मिला,लेकिन मुझे जाने के लिए कहा गया।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस बात को जानने में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे कि क्या चल रहा हैःआखिरी उपाय के तौर पर मैंने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को ई-मेल के जरिए एक शिकायत भेजी।आई सी एम आर ने जांच की बात कही लेकिन हफ्ते भर बाद भी जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने लैब की जानकारी हासिल करने के लिए आर टी आई दायर की।आई सी एम आर ने मामले पर संज्ञान लिया और पाया कि मित्तल का सैंपल हरिद्वार में लिया और जांचा गया है। वहां से मित्तल की शिकायत को उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के पास भेजा गया।एक बड़ी जांच के बाद सामने आया कि मित्तल उन एक लाख लोगों में शामिल हैं,जिनकी जाली रिपोर्ट हरियाणा की एजेंसी ने तैयार की थी।जांच में पता चला कि दिए गए नाम और पते फर्जी हैं।कई लोगों ने एक ही फोन नंबर और एंटीजन टेस्ट किट की जानकारी दी।जबकि किट का इस्तेमाल एक बार ही किया जा सकता है।राजस्थान के ऐसे कई छात्रों का नाम सैंपल देने वालों में शामिल था, जो कभी कुंभ नहीं गए।

आठ एजेंसियों की मदद से कुल चार लाख जांचें की थीं

रिपोर्ट के अनुसार राज्य ने मेला अवधि के दौरान सैंपल इकट्ठा करने वाली आठ एजेंसियों की मदद से कुल चार लाख जांचें की थीं।रिपोर्ट में उत्तराखंड में कोविड 19 स्थिति की निगरानी कर रही सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के सदस् अनूप नौटियाल के हवाले से कहा गया कि कुंभ मेला के दौरान हरिद्वार जिले में आसाधारण तरीके से कम पॉजिटिविटी रेट संदेह के घेरे में रहा। लेकिन अधिकारियों ने आंखें बंद कर ली थीं।अप्रैल में हरिद्वार का पॉजिटिविटी रेट औसतन 2.8 फीसदी था।जबकि अन्य 12 जिलों में यह आंकड़ा औसतन 14.2 प्रतिशत पर था।उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में इतने बड़े स्तर पर हुए घोटाले से ये साफ हो गया है कि कोरोना जैसी आपदा में अवसर का फायदा उठाया गया है।ऐसा अभी एक प्रकरण सामने आया है।अभी अगर अन्य जांचें बारीकी से की जाएं तो कई और घोटाले सामने आयेंगे।

लाखों श्रद्धालुओं की जान को जोखिम में डाला

श्री जोशी ने कहा कि ये उत्तराखंड सरकार की बड़ी लापरवाही है।लापरवाही करते हुए न केवल सरकार ने झूठ बोला जबकि लाखों श्रद्धालुओं की जान को भी जोखिम में डाला।ये टेस्ट फर्जी थे तो सोचनीय विषय है कि इस फर्जीवाड़े से देश मे कितने लोग कोरोना की चपेट में आयें होंगें।क्या मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा नही देना चाहिए ? क्योंकि स्वास्थ्य विभाग मंत्रालय उनके ही पास है ।

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