नाम बदलने के बाद भी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने अपनी हरकतें नहीं बदली हैं और अब भी यूजर्स की जासूसी कर रहा है। लंबे समय से अनेक विवादों के साये में घिरे फेसबुक ने अभी कुछ ही दिन पहले अपना व्यवसायिक नाम बदल कर मेटा रखने की घोषणा की थी। हालांकि फेसबुक ने अपना नाम तो बदल लिया, लेकिन लोगों के मोबाइल फोन से डेटा चुराने का काम उसने बंद नहीं किया। इतना ही नहीं फेसबुक की निजता के हनन करने की हरकतों के कारण युवा भी फेसबुक से दूरी बनाने लगे हैं।
आपके इन डेटा की चोरी कर रहा है फेसबुक
एक स्टडी के मुताबिक फेसबुक आपके फोन की स्क्रीन एक्टिविटी, वेब एक्टिविटी, कॉल ड्यूरेशन और हार्डवेयर के सीरियल नंबर पर नजर रख रहा है। इसके साथ ही फेसबुक इस डेटा को स्टोर भी कर रहा है। हैरानी की बात तो ये है कि फेसबुक इस डेटा को एक्सेस करने की आपसे परमिशन भी नहीं मांगता है। रिपोर्ट में सामने आया कि 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के अकाउंट को मेटा पर्सनलाइज कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर मेटा इनके जरिये बच्चों को विज्ञापन नहीं देना चाहती तो फिर इसे जमा ही क्यों कर रही है? ऐसा करने की क्या जरूरत है? अब वह बच्चों को विज्ञापनदाताओं के बजाय अपने एआई के जरिए टार्गेट कर रहा है। इस सब को ‘ऑप्टिमाइजेशन’ नाम दिया है। उदाहरण के लिए जो बच्चे मोटापे के शिकार हैं, उनकी पहचान कर उन्हें वजन कम करने के विज्ञापन दिए जा सकते हैं।