विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ई-कचरे पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी करते हुए, इस बढ़ते स्वास्थ्य जोखिम से बच्चों की रक्षा के लिये ज़्यादा असरदार उपायों व बाध्यकारी क़दम उठाये जाने का आग्रह किया है । यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मंगलवार को आगाह किया है कि पुराने इलैक्ट्रॉनिक सामानों व उपकरणों से मूल्यवान धातुओं व सामग्री को ग़ैरक़ानूनी ढँग से अलग करने का काम कर रहे बच्चों, किशोरों व गर्भवती महिलाओं को ख़तरा है ।
सबसे मूल्यवान संसाधन, बच्चों का स्वास्थ्य है
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि सबसे मूल्यवान संसाधन, बच्चों का स्वास्थ्य है, जिसे ई-कचरे से ख़तरा पैदा हो रहा है । उनकी रक्षा के लिये संगठित प्रयास किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया जाना चाहिए । “ठीक उसी तरह, जैसे समुद्रों व उनके पारिस्थितिकी तंत्रों की प्लास्टिक व माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से रक्षा के लिये, दुनिया ने साथ मिलकर प्रयास किये हैं “।
ई-कचरे की उफनती सुनामी के साथ, स्वास्थ्य ख़तरा भी बढ़ रहा है
रिपोर्ट के मुताबिक, इस्तेमाल के बाद फेंक दिये जाने वाले इलैक्ट्रॉनिक उपकरण, यानि ई-कचरा, विश्व में घरेलू स्तर पर कचरे की सबसे तेज़ गति से बढ़ती श्रेणी है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने Children and Digital Dumpsites नामक रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर जारी अपने एक वक्तव्य में चेतावनी दी है कि ई-कचरे की उफनती सुनामी के साथ, यह स्वास्थ्य ख़तरा भी बढ़ रहा है ।
2019 में, पाँच करोड़ 36 लाख टन कचरा पैदा हुआ
‘Global E-waste Statistics Partnership’ के आँकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2019 में, पाँच करोड़ 36 लाख टन कचरा पैदा हुआ, जिसमें से महज़ 17 प्रतिशत को ही एकत्र व उपयुक्त ढँग से री-सायकिल किया गया । बाक़ी कचरे की मात्रा के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, मगर इस बात की सम्भावना कम ही है कि उसे पर्यावरणीय अनुकूल ढँग से री-सायकिल किया गया हो । ई-कचरे की कुछ मात्रा, कचरा भराव क्षेत्रों में भेजी जाती है, मगर बड़े पैमाने पर इसे ग़ैरक़ानूनी ढँग से निम्न और मध्य आय वाले देशों में रवाना किया जाता है ।
कार्रवाई की पुकार
ताज़ा रिपोर्ट में ई-कचरे की समस्या के विभिन्न आयामों पर विचार किया गया है और स्वास्थ्य ख़तरों को दूर करने के लिये, व्यावहारिक कार्रवाई बिन्दुओं को साझा किया गया है । इसके तहत, निर्यातकों, आयातकों और सरकारो को ई-कचरे का पर्यावरणीय नज़रिये से उपयुक्त निस्तारण करने और कर्मचारियों व समुदायों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का ख़याल रखने की बात कही गई है । साथ ही, स्वास्थ्य सैक्टर से ज़हरीले कचरे के सम्पर्क में आने से रोकने, और निदान व निगरानी के लिये क्षमता को मज़बूत बनाने का आहवान किया गया है ।