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नेपाल से आये हाथियों के झुण्ड ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत क्षेत्र में मचाई तबाही

नेपाल से निकल कर उत्तराखंड के रास्ते पीलीभीत टाइगर रिजर्व की जरिए हाथी माला रेंज तक पहुँच चुके हैं। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बीते एक सप्ताह से हाथियों का आतंक देखने को मिल रहा है। दर्जनभर हाथियों के झुंड ने किसानों की फसलों और घरों को भी निशाना बना कर तबाही करना शुरू कर दिया है। वन से सटे गांव सैजना में एक गरीब मजदूर के घर को गुरुवार देर रात हाथियों ने तबाह कर दिया।

किसानों को हो रहा नुकसान

हाथियों के इस समूह ने किसानों का बड़ा नुकसान किया है। रात के समय हाथियों का झुंड फिर से वापस अपनी जगह पर चल जाता है। वन कर्मियों का कहना है कि हाथियों को खदेड़ने का सही समय दिन के उजाले में है। एक बड़ी टीम बना कर हाथी के झुंड को शोर मचाकर ढोल बजाकर और पटाखों की आवाज से भगाया जाना संभव है। जैसा कि बीते कुछ दिनों से माला रेलवे स्टेशन के आस-पास ही हाथियों ने डेरा जमाया था लेकिन गुरुवार देर रात करीब 10 बजे हाथियों का झुंड माधोटांडा रोड क्रॉस कर धमेला कंपार्टमेंट की ओर पहुंच गया। हाथियों को भगाने के लिए तैनात स्टाफ ने कई जगहों पर अलाव जलाकर हाथियों को दूर भगाने का प्रयास किया।

हाथियों के झुण्ड ने मरौरी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले सैजना गांव में भी उत्पात मचाया। जिसकी वजह से सड़क पर रास्ता भी ब्लॉक हो गया। हाथियों के जाने के बाद रास्ता खोला गया। इसी दिन देर रात को आसपास के किसानों की फसलों को हाथियों ने रौंद डाला,हाथियों की मौजूदगी से क्षेत्र के किसानों में दहशत का माहौल है और उन्होंने खेतों की ओर जाना बंद कर दिया है। वन विभाग के अधिकारी हाथियों को खदेड़ने का वादा तो कर रहे हैं लेकिन इसको करने में सक्षम नहीं दिखाई पड़ रहे हैं।

राज्य सरकार के पूर्व मंत्री और सपा के वरिष्ठ नेता हेमराज ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और उन्होंने पीड़ितों से वादा किया कि प्रशासन से बातचीत कर मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

वनकर्मियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि लगभग 20 हाथियों ने इस जंगल में दस्तक दी है। ये झुण्ड दिनभर जंगल में रहता हैं, और रात में बाहर निकलते हैं। किंके रास्ते में जो भी पड़ता है, ये उसे तबाह करते चलते हैं। दो साल पहले भी नेपाल से हाथियों का झुण्ड रामपुर की सीमा तक गया था और वहां उन्होंने कई किसानों को कुचल दिया था। तब भी बड़ी मुश्किल से वन विभाग को इन हाथियों को उत्तराखंड की ओर खदेड़ने में कामयाबी मिल पाई थी। एक बार फिर से वन विभाग के सामने ये चुनौती आयी है जिसका जल्द ही प्रसाशन के द्वारा कुछ समाधान किये जाने की जरुरत और उम्मीद है।

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