अल्मोड़ा: सैनिटरी नैपकिन के साथ मेंस्ट्रुल कप के प्रयोग को लेकर जागरूक कर रहे आशीष पंत और राहुल

अल्मोड़ा: महिलाओं एवं युवतियों में मासिक धर्म के कारण होने वाली चुनौतियों को लेकर जागरूकता बढ़ाने और संबंधित समस्याओं के समाधान को उजागर करने के लिए शोध विद्यार्थी आशीष पंत और पत्रकारिता के विद्यार्थी राहुल जोशी का अभियान निरन्तर जारी है।

आशीष और राहुल ने प्रो० इला साह के निर्देशन में माहवारी सम्बंधित जानकारी दी

अल्मोड़ा स्थित DDU-GKY की एक और संस्था QUESS better together में आज आशीष और राहुल ने प्रो० इला साह के निर्देशन में माहवारी सम्बंधित जानकारी महिलाओं को दी। इस मौके पर 100 से अधिक छात्राएं मौजूद रही। शोध विद्यार्थी आशीष पंत इस विषय पर बीते 2 वर्षों से काम कर रहे हैं वो बतातें हैं कि उन्होंने एमए में किये लघु शोध के इस विषय को पीएचडी में भी विस्तारित किया है।



युवतियों को अब मेंस्ट्रुल कप की भी दे रहे जानकारी

शोध विद्यार्थी आशीष महावारी के दौरान सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करने के साथ साथ महिलाओं व युवतियों को अब मेंस्ट्रुल कप की भी जानकारी दे रहे हैं। पूर्व में भी DDU-GKY की एक संस्था QUESS better together में उन्होंने महिलाओं को रजोधर्म के समय मेंस्ट्रुल कप के प्रयोग करने को लेकर अभियान चलाया।
आशीष ने बताया कि मेंस्ट्रुअल कप्स का अधिक कारगर होना अलग-अलग स्टडीज में सामने आया है। एक तरफ ये जहां फीमेल्स को पैड्स और टैंपॉन्स से ज्यादा आजादी देते हैं, वहीं एंवायर्नमेंट फ्रेंडली भी हैं। जबकि पैड्स पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया पैड्स की तुलना में मेंस्ट्रुअल कप महंगा जरूर लगता है लेकिन असल में यह बहुत सस्ता पड़ता है। क्योंकि पैड्स को एक बार यूज करने के बाद फेंकना ही होता है जबकि एक मेंस्ट्रुअल कप अगर सही तरीके से यूज किया जाए तो आप इसे अधिक साल तक इस्तेमाल कर सकती हैं। इतने साल में आप पैड्स और टेंपॉन्स के लिए जो पैसा खर्च करेंगी, उसकी तुलना में एक मेंस्ट्रुअल कप की कीमत मात्र 5 प्रतिशत ही है।

डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से कर रहे जागरुक

शोध विद्यार्थी आशीष और राहुल विभिन्न विद्यालयों व संस्थानों में जाकर डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से छात्राओं को जागरूक करते हैं। दोनों का कहना है कि वो इस कार्य के लिए ऐसा मंच चाहते हैं जहाँ से वो सरलता से इस विषय पर कार्य करने के लिए अधिक संसाधन जुटा पाएं।
राहुल ने बताया कि इस विषय को लेकर आशीष और उनकी बात एसएसपी अल्मोड़ा से भी हुई जिन्होंने इस विषय के लिए उन्हें सकारात्मक सहयोग प्रदान करने का आश्वासन और बेहतर काम के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया भविष्य में जुलाई माह में वो एक कार्यक्रम पुलिस विभाग में भी आयोजित करेंगे। उन्होंने आगे कहा की अल्मोड़ा के सभी स्कूलों में लगातार यह जागरूकता अभियान जारी रहेगा।  

कार्य को निरंतर करने की प्रेरणा उन्हें अपनी शोध गाइड प्रो० इला साह से मिलती है

आशीष ने बताया कि ये कार्य को निरंतर करने की प्रेरणा उन्हें अपनी शोध गाइड प्रो० इला साह से मिलती है वो बतातें हैं उनकी गाइड उन्हें इस काम को अलग अलग रूप से करने के लिए निरन्तर मार्गदर्शन देते रहती है।
प्रो. इला साह बताती हैं कि गांव हो या शहर मासिक धर्म के समय महिलाओं का जीवन बेहद ही चुनौतीपूर्ण है और उनका व उनके विद्यार्थियों का प्रयास इन्ही दकियानूसी सोच को तोड़कर महिलाओं को उस दौरान सहज और सरल बनाते हुए मुख्य धारा से जोड़ने का है।

मौजूद रहे

इस मौके पर शोध विद्यार्थी आशीष पंत, राहुल जोशी, मयंक पन्त, असिस्टेंट प्रो. कुसुमलता, असिस्टेंट प्रो. पुष्पा, अमन, डीडीयू जीकेआई संस्था के निदेशक विक्रम आदि मौजूद रहे।