आज जितिया व्रत की जानकारी देंगे। हिंदू धर्म में जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व है और सुहागिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती है। जितिया व्रत को सबसे शुभ व्रतों में से एक माना जाता है। यह दिन मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
जानें शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर को प्रातः 05:04 बजे प्रारंभ होगी। वहीं, यह तिथि 15 सितंबर को प्रातः 03:06 बजे समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ होगी। इस प्रकार, जितिया व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा। जबकि 13 सितंबर को जितिया का नहाय-खाय पूरे नियम के अनुसार किया जाएगा। वहीं 15 सितंबर की सुबह पूजा पाठे के बाद पारण किया जाएगा।
जानें इसका महत्व
जितिया व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत के दिन माताएं अपनी संतान के सुखी और सुरक्षित जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि, जीवित्पुत्रिका व्रत रखने से संतान के जीवन में कभी संकट नहीं आते हैं। साथ ही संतान को वियोग का कष्ट भी नहीं मिलता।