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विभाजन की विभीषिका पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

अध्ययन एवं अनुसंधान पीठ ने लगातार कोरोनाकाल में हर प्रासंगिक विषय पर कार्यक्रम और  परिचर्चा की श्रृंखला को गति प्रदान करते हुए’ विभाजन की विभीषिका : वर्तमान संदर्भ ‘ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर एक शानदार वैचारिक मंच प्रस्तुत किया।
इस संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक एवं मीडिया विश्लेषक सुशील पंडित और सिकंदर रिज़वी आमंत्रित थे।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ संघ प्रचारक कृपाशंकर जी ने की।इस विचारोत्तेजक संगोष्ठी का कुशल संयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय की  वरिष्ठ प्रोफेसर माला मिश्र ने अपनी चिर परिचित प्रभावपूर्ण शैली में किया।

विभाजन की कटु यादों  को बड़ी भावनात्मक गंभीरता से उभारा

सिकंदर रिज़वी ने अपने पारिवारिक एवं सामाजिक अनुभव साझा करते हुए विभाजन की कटु यादों  को बड़ी भावनात्मक गंभीरता से उभारा और प्रखर समीक्षक सुशील पंडित ने विभाजन की यंत्रणा और त्रासदी के एक एक दर्द को विभिन्न उदाहरणों से जीवंत बना दिया और कहा विभाजन के समय हुई क्रूरता ने मानवीय संवेदना शून्यता को ही सिद्ध किया।


विभाजन के दंश ने भारत के गौरव को दंशित करके खंड खंड कर दिया

अध्यक्ष कृपाशंकर ने बहुत पीड़ा के साथ कहा कि विभाजन के दंश ने भारत के गौरव को दंशित करके खंड खंड कर दिया।संयोजिका प्रोफेसर माला मिश्र ने  विभाजन की इस घटना को एक राष्ट्रीय अभिशाप की संज्ञा देते हुए कहा कि हम समस्त भारतवासियों को इससे सबक लेते हुए भारत की अखंड सत्ता एवं गौरव को बनाये रखने के लिए अराजक तत्वों को नियंत्रित करने और पारस्परिक सौहार्द्र बनाये रखने की सख्त आवश्यकता है।

संगोष्ठी में देश विदेश से भारी संख्या में हुआ प्रतिभाग

इस संगोष्ठी में देश विदेश से भारी संख्या में प्रतिभाग हुआ।अनेक संस्थाओं ,महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से छात्र ,शोधार्थी ,प्राध्यापक , कुलपति और प्रवासी संस्थाओं से प्रतिभागी ,अधिकारी और अध्यक्षों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सशक्तता प्रदान की तो प्रश्नसत्र ने संगोष्ठी को वैचारिक धार के साथ सार्थक बनाने का कार्य किया।
भावनात्मक और वैचारिक उद्वेलन और मंथन के राष्ट्रीय प्रयासों के बाद इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का सकारात्मक पटाक्षेप हुआ ।

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