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हिंदी साहित्य में विभाजन की विभीषिका के विविध संदर्भ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर माला मिश्र के द्वारा अध्ययन एवं अनुसंधान पीठ के तत्वावधान में ‘ हिंदी साहित्य में विभाजन की विभीषिका : विविध संदर्भ ,’ विषय पर विचारोत्तेजक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

सांगीतिक स्वरों में कार्यक्रम का शुभारंभ

साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत इस संगोष्ठी का केंद्रीय विषय ‘ विभाजन की विभीषिका ‘ रहा।इस विषय पर चर्चा करने हेतु दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रवि शर्मा मधुप मुख्य वक्ता थे।राँची विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो .जंगबहादुर पांडेय मुख्य अतिथि के बतौर विराजमान हुए और कार्यक्रम की प्रभावी अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं  प्रख्यात आलोचक हरिमोहन शर्मा  ने की।प्रोफेसर जंगबहादुर पांडेय ने सांगीतिक स्वरों में कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से करते हुए स्वस्तिवाचन किया और  केंद्रीय विषय संबंधी विविध साहित्यिक प्रसंगों को गागर में सागर की भांति उंडेल दिया।

आखिर भारतीय उपमहाद्वीप का यह कारुणिक विभाजन किस कारणवश हुआ यह विचारणीय विषय

मुख्य वक्ता प्रो रवि शर्मा ने सामाजिक दृष्टांतों को बखूबी उठाया और यशपाल ,भीष्म साहनी ,कृष्णा सोबती ,राही मासूम रज़ा ,कमलेश्वर  इत्यादि कथाकारों के साहित्य में विभाजन की विभीषिका सम्बन्धी उल्लिखित मार्मिक प्रसंगों में अभिव्यक्त दर्द का बहुत ही संवेदनापूर्ण विश्लेषण किया।अपने मूल्यवान अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ आलोचक प्रो .हरिमोहन शर्मा ने ज़मीनी स्तर  पर यह सवाल खड़ा किया कि आखिर भारतीय उपमहाद्वीप का यह कारुणिक विभाजन किस कारणवश हुआ यह विचारणीय विषय है ताकि पुनः कभी ऐसी लोमहर्षक घटनाओं पर विमर्श करने के लिए प्रबुद्धजनों को एकत्रित न होना पड़े। उन्होंने कहा कि विभाजन का दुष्प्रभाव सर्वाधिक स्त्रियों को ही झेलना पड़ा लेकिन  हिंदी साहित्य में सर्वाधिक सशक्तता के साथ शाहनी जैसे स्त्री पात्र हीअडिग खड़े  दिखाई देते हैं।शासकीय मूल्यों और मानवीय मूल्यों के बीच विभेदक रेखा खींचते हुए उन्होंने दोनों के द्वंद्व को बड़ी कुशलता पूर्वक उभारा।शिवमंगलसिंह सुमन के काव्यस्वरों में उनकी वाणी कराह उठी -“मेरा देश जल रहा है ,कोई नहीं बुझाने वाला।”

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के विभाजन की त्रासदी को विभीषिका दिवस के रूप में साभिप्राय घोषित किया है

अंत में आयोजक आचार्य चंद्र की सुचिंतित कार्ययोजना को साधुवाद देते हुए तथा उपस्थित विद्वत जनों का आभार प्रकट करते हुए संगोष्ठी संयोजिका प्रो .माला मिश्र ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के विभाजन की त्रासदी को विभीषिका दिवस के रूप में साभिप्राय घोषित किया है ताकि वर्तमान पीढ़ी देश की अखंडता और प्रगतिगामिता पर विभाजन के दंश  के दुष्प्रभावों से सबक सीखे और एक अखंड व समृद्ध भारत वर्ष की परिकल्पना को चरितार्थ कर सके ।यही इस स्वीकारोक्ति का सकारात्मक प्रतिफलन है।इसी संदर्भ में इस संवाद श्रृंखला की सार्थकता है।

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