डायरिया पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का एक बड़ा कारण है, बार-बार बच्चों को डायरिया होने पर उनमें कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इससे बचाव जरूरी है। इस बारे मे बाल रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर (डॉ.) वरिंदर सिंह बताते हैं कि गर्मियों में बच्चे अक्सर प्यास लगने पर कहीं से भी पानी पी लेते हैं, इससे इंफेक्शन बढ़ता है। इसकी वजह दस्त होने की समस्या होती है।
बच्चों में दस्त का कारण
>दूषित जल पीना
>दूषित भोजन का सेवन
>साफ-सफाई का ध्यान न रखना
बचाव के उपाय
>साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
>बच्चों को खाना खिलाने से पहले अच्छी तरह हाथ धुलें
>खाना बनाते और परोसते समय सफाई रखें
>बच्चों को पानी उबाल कर ही पिलाएं
>6 महीने से छोटे शिशुओं को केवल मां का दूध पिलाएं
>मां के दूध के अलावा कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं
>बच्चों को शौच के बाद साबुन से हाथ धुलने की आदत डलवाएं
डायरिया का इलाज
अगर बच्चे को दस्त की समस्या हो गई है तो घबराएं नहीं बल्कि किसी दवा से पहले पानी की कमी से बचाएं। इसके लिए बच्चे को लिक्विड पदार्थ दें। जीवन रक्षक घोल यानी ओआरएस पिलाएं। हर दस्त के बाद ओआरएस देना चाहिए। लेकिन ध्यान रखना है बहुत चीनी वाले पेय पदार्थ, शरबत, या बाजार के पेय पदार्थ आदि न दें। घर पर ही नींबू पानी में नमक और चीनी मिलाकर पिलाएं। लस्सी, छाछ, नारियल पानी दे सकते हैं।
अक्सर बच्चों में डायरिया होने पर डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण की संभावना रहती है, जिससे गंभीरता बढ़ सकती है और बच्चे के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। आम तौर पर वायरस से होने वाले डायरिया में एंटीबायोटिक कारगर नहीं होते।
डिहाइड्रेशन के लक्षण
>बच्चे में चिड़चिड़ापन
>बच्चे का सुस्त होना
>पेशाब में कमी
>मुंह और जीभ का सूखना
>अधिक प्यास लगना
>आंख धसना
>आंखों व त्वचा में सूखापन
>बच्चे का आहार न ले पाना
>सांस लेने में परेशानी
ऐसे लक्षण आने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाएं। इस बीच बच्चे का आहार बंद न करें, कम मात्रा में थोड़ी-थोड़ी देर में खिलाएं। शिशु को स्तनपान कराते रहें।
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