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गूगल पर जिंदगी, एक क्लिक पर खुली जा रही, डॉ. ललित जोशी योगी की स्वरचित कविता

जिंदगी धागे की तरह FB, इंस्टा पर खुलती जा रही है

स्टेटस पर एक जिंदगी हारती हुई मुझे दिखाई दे रही।

गर्भनाल से दूर हुए दुधमुँहे शिशु भी पोस्ट हो रहे हैं,

बैड रूम के भीतर की जिंदगी भी इस पे दिखाई दे रही।
करवाचौथ का चांद, दिख रही हैं यहां प्रेमभक्तियाँ,

जन्मदिन का केक इस पर और सगाई भी दिख रही ।

दिल से जुड़े रिश्ते नहीं हैं अब वर्चुअल निभाये जा रहे,

थोर्जन वायरस की तरह है ये, निजता हैक हो रही ।।

सोचता हूँ! लोगों को जानना इससे आसान हो गया,

स्टेटस पर, जिंदगी का तमाशा भी खुलेआम हो गया।

दो जिंदगियां एक जान भी, अब हकीकत में बचे नहीं,

लगी है भीड़ इस पर, स्टेटस चटकीला चैनल हो गया।।

अब जानना है क्या कुछ? और अब छुपा है क्या?

गूगल पर है जिंदगी, एक क्लिक पर खुली जा रही ।।

– डॉ. ललित योगी

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