March 29, 2024

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मशरूम की खेती और अन्य सामाजिक कार्यो के लिए बागेश्वर की ममता मेहता तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित

जिंदगी में कभी भी कैसे भी हालात क़्यों न हो, हार नहीं माननी चाहिए। संघर्षों से हम ऊंचाइयां छूते है। जिसका एक उदाहरण है ममता मेहता पत्नी स्व0 जमन सिंह मेहता
पुत्री स्व0 श्री मोहन सिंह ऐठानी निवासी बागेश्वर। जिन्होंने बहुत संघर्ष करने के बाद जब सरकारी विभाग में नौकरी हेतु प्रयासरत सफलता न मिल पाने पर भी हार नहीं मानी। जिन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए वीरांगना के नाम से प्रदेश में दिए जाने वाला तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित हुई है।

संघर्षों के बीच खोली नई राह-

ममता मेहता पत्नी स्व0 जमन सिंह मेहता
पुत्री स्व0 श्री मोहन सिंह ऐठानी ने बताया कि कुछ समय ऐसा आया कि पति की 2017 में आकस्मिक मृत्यु हो जाने एवं अंत्योदय परिवार में आने के कारण अपने पुत्र एवं सास-ससुर की भी जिम्मेदारी स्वयं पर आने के कारण परिवार का भरण पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया था।
कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिली फिर स्वयं सोचा कि आगे बढ़ना है और कुछ न कुछ करना पड़ेगा। जिसके बाद सोच कर एनजीओ के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने को मिला और काफी लगन के साथ काम किया तथा समाज में अपनी जगह बनाई और गांव-गांव में जाकर असहाय महिलाओं की सहायता की।

यू-ट्यूब के माध्यम से मशरूम उत्पादन का कार्य सीखा-

ममता मेहता गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करती रही। उन्होंने यू-ट्यूब के माध्यम से मशरूम उत्पादन का कार्य सीखा, धीरे-धीरे कई जगह भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसमें यह प्रयास सफल रहा। जो
वर्तमान में स्वयं ही मशरूम का उत्पादन कार्य कर रही है और साथ-साथ महिलाओं पुरुषों को प्रशिक्षण भी देकर कृषि के कार्य के साथ-साथ नवीन तकनीकी से कृषि कर आत्मनिर्भर बना रही हैं। जिनके द्वारा समय-समय पर जो गरीब तथा असहाय परिवारों के बच्चे हैं उनका समय-समय पर जन्मदिन मनाया जाता है, और गांव स्तर पर बच्चों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रतियोगिता कर उनको प्रोत्साहन करने के लिए पुरस्कार भी दिया जाता है। इससे सारे बच्चों के मन में खुशी की लहर दौड उठती है। ममता मेहता ने बताया कि उनका हमेशा से प्रयास रहता है इन लोगों को छोटी छोटी खुशियां दी जाए।

कोरोना काल में जारी रही लोगों के लिए मदद-

ममता मेहता द्वारा कोरोना काल में नगर पंचायत तथा गांव में कई किलोमीटर पैदल जाकर कोविड-19 की जानकारी दी गई तथा 2000 मास्क बांटे गए। साथ ही नगर पंचायत के सफाई-कर्मचारियों को राशन भी दिया गया। कोरोना काल में दुकानों एवं बैंक के निर्धारित समय से खरीददारी के समय सोशल डिस्टैंन्सिग का पालन कराने के साथ साथ जरूरतमन्दों को मास्क वितरित कर जागरूक किया गया।

गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने हेतु उन्हें दिया प्रशिक्षण-

उनके द्वारा गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने हेतु उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। ग्रामीण महिलाओं को बिनाई मशीन से बनाई गई स्वेटर, हाथ की बनी हुई स्वेटर, टोपी आदि सिलाई सिखा कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद एवं प्रेरित किया गया। वही प्राकृतिक संसाधन जैसे बांस, रिंगाल से बनाई जाने वाली राखिया, टोकरी, फ्लावर पॉट, हैंगिंग लाइट, हॉट केस आदि बनाकर भी महिलाओं में आत्मनिर्भरता को बढाने में योगदान दिया।

मशरूम की खेती से प्रयास रहा सफल-

मशरूम की खेती और अन्य सामाजिक कार्यो के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित हुई ममता मेहता ने बताया कि मशरूम की खेती शुरू करने का पहला ही प्रयास सफल हुआ, जिसमें गरीब महिलाओं तथा बेरोजगारों को भी इससे जोड़ा। जिसके बाद उनका स्वयं का मशरूम का कार्य है। जिसमें उन्होंने अनेक जगह जाकर भी निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही अल्मोड़ा जिले के पुलिस कर्मचारियों की महिलाओं को भी प्रशिक्षण दिया जिससे वह महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन पाने हेतु प्रेरित हुई।

कोविड-19 के कारण घर लौटे बेरोजगारी प्रवासियों को भी मशरूम की खेती के लिए दिया प्रशिक्षण-

कोविड-19 के कारण घर लौटे बेरोजगारी प्रवासियों को भी प्रेरित करने के लिए मशरूम उत्पादन की बारीकियां प्रशिक्षण दिया गया। ग्राम पंचायत जिला बागेश्वर से लगभग 40 किलोमीटर दूर गांव है जहां पर गोविंद सिंह को मछली पालन करने हेतु प्रेरित किया गया तथा स्वयं मत्स्य अधिकारी से समन्वय स्थापित किया गया। जिससे प्रवासी गोविंद से अब घर पर ही रह कर अच्छी कमाई कर लेते है।
इसी प्रकार नामचेटाबगड़ भी जिले से 65 किलोमीटर की दूरी पर है यहां भी मनोज कुमार प्रवासी थे इन्हें बालवीर की दुकान खोलने हेतु प्रेरित किया गया। अब यह अपने घर पर ही माह में 10000 से 12000 कमा अपना परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। जिसमें उनके द्वारा प्राकृतिक फूलों बुरास को संरक्षित कर सभी महिलाओं के साथ मिलकर जूस भी तैयार करने में स्वयं अपनी भागीदारी देकर लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा दे कर बुरॉश के जूस को नजदीकी बाजार में बेचकर महिलाओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर प्रेरित किया गया।

असहाय महिलाओं को मदद, आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रेरित करना है पहली प्राथमिकता-

ममता मेहता ने बताया कि उनकी प्राथमिकता है कि वह असहाय महिलाओं को मदद, आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रेरित करना व सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को पहुंचाना व उन्हें लाभ पहुंचाना है। इन्हीं सब कार्यों को देख कर ममता मेहता को फरवरी 2021 को जिला अधिकारी द्वारा किसान श्री सम्मान से भी पुरस्कृत किया गया। उन्होंने बताया कि.माता-पिता के आशीर्वाद और भाई-बहिन  द्वारा लगातार कठिन परिस्थितियों में बढ़ाये गये मनोबल एवं प्रेरणा से तथा क्षेत्रवासियों के सहयोग से मुझे यह सम्मान मिला है। जिन्होंने सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त किया। आज मिले इस सम्मान से और अच्छा करने की प्रेरणा मिली है।