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17 मार्च: आज से शुरू हो रहें हैं होलाष्टक, इस दौरान भूलकर भी न करें यह काम

आज 17 मार्च है। आज से होलाष्टक शुरु हो गये है। जिसमें आज से लेकर 26 मार्च छलणी तक कोई भी विशेष कार्य का शुभारंभ करना वर्जित माना जाता है। होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के दिन होली खेली जाती है। होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ ही होता है‌। इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।

होलाष्टक आज 17 मार्च से लगेगा

पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 16 मार्च को रात 9 बजकर 39 मिनट से होगा, जिसका समापन 17 मार्च को सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में होलाष्टक 17 मार्च से लगेगा और 24 मार्च को समाप्त होगा। इसके बाद 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। यानी इस साल होलाष्टक की शुरुआत 17 मार्च से हो रही है। होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र स्वभाव में रहते हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों का अच्छा फल नहीं मिल पाता है।

होलाष्टक लगने पर न करे यह काम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान शुभ काम न करें
✴️✴️होलाष्टक में शादी-विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्यों के अलावा मुंडन और नामकरण जैसे संस्कार नहीं करने चाहिए।
✴️✴️होलाष्टक में भवन निर्माण, वाहन, प्लॉट या किसी प्रॉपर्टी को खरीदना या बेचना वर्जित है।
✴️✴️होलाष्टक में भूलकर भी यज्ञ और हवन जैसे कार्य ना करें।
✴️✴️होलाष्टक में शुभ कार्यों की शुरुआत बिल्कुल न करें। अगर आप किसी नई दुकान का शुभारंभ करने वाले हैं तो होलाष्टक से पहले या बाद में करें।
✴️✴️होलाष्टक में सोने या चांदी के आभूषण खरीदने से बचें। आप होलाष्टक से पहले या बाद में इन्हें खरीद सकते हैं।

जाने होलाष्टक क्यों लगता है

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार प्रेम के देवता कामदेव ने भोलेनाथ की तपस्या भंग कर दी थी। इससे नाराज होकर भगवान शिव ने कामदेव को फाल्गुन अष्टमी के दिन भस्म कर दिया था। जब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी की उपासना की और कामदेव को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की, तब शिवजी को उस पर दया आई। इसके बाद शिवजी ने कामदेव में फिर से प्राण भर दिए। कहते हैं कि तभी से होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का अंत हो जाता है।

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