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‘वंडर वुमन’ कल्पना चावला के सपनों को पंख दे रहा राष्ट्र, जानें

वंडर वुमन’ कल्पना चावला को कौन नहीं जानता। भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला न केवल दुनियाभर की महिलाओं के लिए बल्कि अंतरिक्ष यात्री बनने की इच्छा रखने वाले तमाम लोगों के लिए एक आदर्श हैं। आज भले ही वे इस दुनिया में न हो लेकिन आज भी उन्हें याद किया जाता है। छात्र अंतरिक्ष क्षेत्र में कल्पना चावला के नक्शे कदम पर चलकर नए कीर्तिमान स्थापित कर सके इसके लिए केंद्र सरकार निरंतर प्रयासरत्त है।

अब अनुसंधान के लिए छात्र नई बुलंदियों को छूने में होंगे कामयाब

सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में कल्पना चावला अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया। उन्होंने तीनों सेनाओं के रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए 10 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ भी किया। उन्होंने कहा कि अब तक भारत ने अमेरिका, जापान, इजरायल, फ्रांस, स्पेन, यूएई और सिंगापुर जैसे 34 देशों को अंतरिक्ष में लगभग 342 उपग्रह सफलतापूर्वक भेजे हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र को लेकर डॉक्टर विक्रम साराभाई, डॉक्टर सतीश धवन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का सपना पूरा करने की ओर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र को भी बड़े पैमाने पर दिया जा रहा मौका

रक्षा मंत्री ने कहा कि जिस समय हमारी अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गठन हो रहा था, उस समय दुनिया में यूएसए और यूएसएसआर जैसे देश इस सेक्टर में काफी आगे बढ़ चुके थे। यानि दुनिया में हमारे लिए स्थान बनाना एक बड़ा और कठिन कार्य था। उसके बाद इसरो के नेतृत्व में हमारे वैज्ञानिकों की दिन-रात की कड़ी मेहनत, लगन, उनके उत्साह और विजन ने पांच दशक के अंदर भारत को शीर्ष अंतरिक्ष शक्तियों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है। आज अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र को भी बड़े पैमाने पर मौका दिया जा रहा है। आज हमें किसी भी सेक्टर में बंधकर काम करने की जरूरत नहीं है। इसलिए हमारी सरकार डिफेन्स और अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योगों का पूरी तरह स्वागत कर रही है।

कल्पना के सपने को राष्ट्र ने दिए नए पंख’

उन्होंने कहा कि हमारे देश की बेटी कल्पना चावला का नाम आज केवल एक अंतरिक्ष यात्री का नाम न होकर महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने किसी समय एक सपना देखा और हमारे समाज, राष्ट्र ने उस सपने को नए पंख दिए जिससे कल्पना ने कल्पना से परे उड़ान भरी। पिछले 6-7 सालों में अंतरिक्ष एक टूल के रूप में उभर कर सामने आया है। गांव-गलियों तक सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचा में जियो-टैगिंग का उपयोग हो रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन और सीमा सुरक्षा से जुड़े मामलों में सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़ी एजेंसियों की भरपूर मदद कर रही है। यदि हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की ओर अपने कदम आगे बढ़ाते हैं तो हमारा देश इन फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज में भी तेजी से आगे बढ़ेगा।

‘3 वर्षों इसरो ने अपने लॉन्च मिशनों के माध्यम से 5,600 करोड़ रुपए कमाए’

रक्षा मंत्री ने कहा कि मंगलयान जैसे मिशन के लिए हमसे लगभग 10 गुना ज्यादा लागत लगाने के बाद भी अमेरिका और रूस जैसे देशों को 5-6 बार प्रयास करने पड़े, लेकिन भारत ने पहली बार में उसे सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया था। पिछले 3 वर्षों में भारतीय अन्तरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने लॉन्च मिशनों के माध्यम से 5,600 करोड़ रुपये कमाए हैं। अब तक भारत ने अमेरिका, जापान, इजरायल, फ्रांस, स्पेन, यूएई और सिंगापुर जैसे 34 देशों को अंतरिक्ष में लगभग 342 उपग्रह सफलतापूर्वक भेजे हैं। आज स्थिति यह है कि हम अपने उपग्रह अन्तरिक्ष में भेजने के साथ ही किफायती और भरोसेमंद होने के कारण दूसरे देशों के सेटेलाइट भी इसरो के माध्यम से अन्तरिक्ष में लॉन्च कर रहे हैं।

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