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चैत्र नवरात्रि 2023 : भक्तों के भय और संकट को दूर करने वाली मां चंद्रघंटा को समर्पित है नवरात्र का तीसरा दिन, जानें ये पौराणिक कथा

नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है।आज यानी  24 मार्च, शुक्रवार को चंद्रघंटा की अराधना होगी। माँ चंद्रघंटा अपने भक्तों के भय और संकट को दूर करने वाली हैं। जो भक्त उनकी सच्चे मन से आराधना करता है उनकी समस्त प्रकार की मुरादें पूरी होती हैं।मां चंद्रघंटा को मान्यतानुसार बेहत शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है। कहते हैं जो भक्त मां चंद्रघंटा का पूजन करते हैं उन्हें आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और उनपर मां चंद्रघंटा की विशेष कृपा बरसती है।

पूजा के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:47 बजे से 05:34 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 06:21 बजे से दोपहर 01:22 बजे तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:03 बजे से 12:52 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 बजे से 03:19 बजे तक

ऐसे करें पूजन

सुबह स्नान करने के बाद मां की पूजा से पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। उसके बाद मां चंद्रघंटा का ध्यान कर प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। अगर तस्वीर है तो उसको स्वच्छ कपड़े से साफ करें। इसके बाद मां चंद्रघंटा को धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत अर्पित करें। मां को कमल और शंखपुष्पी के फूल अर्पित करें,ये फूल उनको प्रिय हैं। पूजा के बाद घर में शंख और घंटा जरुर बजाएं। मां को दूध या फिर दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। भोग में मां चंद्रघंटा की प्रिय चीजें लगाई जा सकती हैं इनमें केसर और दूध से तैयार की गईं मिठाइयां और फल आदि शामिल हैं।दूध से बने अन्य मिष्ठान भी मां चंद्रघंटा को चढ़ाए जा सकते हैं और इस भोग  को ही प्रसाद स्वरूप खाया जाता है। भोग में शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।भोग लगाने के बाद हाथों में फूल लेकर मां के मंत्र का एक माला जाप करें।आखिर में व्रत कथा का पाठ कर आरती करें। ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

ऐसा है मां का स्वरूप

मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का संहार करने के लिए अवतार लिया था और उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां हैं। मां चंद्रघंटा का स्वरूप हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए है। देवी मां के माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है जिसके चलते उन्हें  चंद्रघंटा नाम मिला है। राक्षसों का विनाश करने वाली मां चंद्रघंटा भक्तों के लिए शांत और सौम्य व्यक्तित्व की हैं।भोग में मां चंद्रघंटा की प्रिय चीजें लगाई जा सकती हैं इनमें केसर और दूध से तैयार की गईं मिठाइयां और फल आदि शामिल हैं।दूध से बने अन्य मिष्ठान भी मां चंद्रघंटा को चढ़ाए जा सकते हैं और इस भोग  को ही प्रसाद स्वरूप खाया जाता है। भोग में शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

जानें ये पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर ने देवाताओं पर विजय प्राप्‍त कर इंद्रदेव के सिंहासन पर कब्जा कर लिया। उसके आतंक से समस्त देवतागण परेशान हो गए और इस समस्‍या से निकलने का उपाय जानने के लिए ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों देवताओं के समक्ष जा पहुंचे। यह सुनकर त्रिदेव क्रोधित हो गए और तीनों के मुख से ऊर्जा उत्‍पन्‍न हुई। तीनों देवों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा से जाकर मिल गई। तभी वहां एक देवी का अवतरण हुआ। भगवान शंकर ने देवी को त्र‍िशूल और भगवान विष्‍णु ने चक्र प्रदान किया। इसी प्रकार अन्‍य देवी देवताओं ने भी माता के हाथों में अस्‍त्र शस्‍त्र दिए। इंद्र ने माता को एक घंटा दिया और सूर्य देव ने अपना तेज और तलवार। देवी अब महिषासुर से युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार थीं। मां ने एक ही झटके में ही दानवों का संहार कर दिया। इस युद्ध में मां ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त करवाया।

🙏इन मंत्रों का करें ग्यारह बार जप🙏

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

आज के दिन इस मंत्रों को ग्यारह बार जप करने से सभी परेशानियां दूर होती है।मान्यता है की शुक्र ग्रह पर मां चंद्रघटा का आधिपत्य होता है। अतः इस मंत्र का 11 बार जप करने से शुक्र संबंधी परेशानियों और जीवन में अन्य परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।

🙏अन्य मंत्र🙏

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम

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