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दीपावली में सूर्यग्रहण के बाद भाईदूज तिथि पर लोगों की असमंजसता, उत्तराखंड ज्योतिष रत्न ने कहीं यह बात, जानें शुभ मुहूर्त

25 अक्टूबर को पूरे देश में साल का आखिरी सूर्यग्रहण लगा। जिसके बाद अब भाईदूज का त्योहार है। भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।‌‌ जिसमें इस साल तिथियों को लेकर लोगों में उलझन की स्थिति बनी हुई है। भाईदूज 26 या 27 अक्टूबर को कब मनाया जाएगा। लोग यहीं असमंजसता में है।

भाईदूज का यह रहेगी तिथि-

जिस पर उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा है कि कहा है कि शास्त्र के अनुसार भैया दूज का त्योहार मध्यान्ह व्यापिनी द्वितीय तिथि में ही मनाया जाना चाहिए। श्रीमद् भागवत व्यास पीठ पर आसीन होने वाले आचार्य चंडी प्रसाद बताते हैं कि शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि, जिस दिन दोपहर के समय होती है, उसी दिन भाई दूज का त्योहार मनाना चाहिए। इस साल भाई दूज पर यही स्थिति बनी हुई है कि दो दिन यानी 26 और 27 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण द्वितीया तिथि लग रही है। 26 अक्टूबर को दिन में 02 बजकर 43 मिनट से भाई दूज का पर्व मनाना शुभ रहेगा, जो 27 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में 26 अक्टूबर को ही भाई दूज का पर्व मनाना शास्त्र के अनुकूल रहेगा।

ज्योतिष ने कहीं यह बात-

इसका कारण स्पष्ट करते हुए ज्योतिष बताते हैं कि शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन के घर दोपहर के समय आए थे और बहन की पूजा स्वीकार करके उनके घर भोजन किया था। वरदान में यमराज ने यमुना से कहा था कि यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन जो भाई बहनों के घर आकर बहनों की पूजा स्वीकार करेंगे और उनके हाथों से बना भोजन करेंगे तो उनको अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसलिए यम द्वितीया भाई दूज में दोपहर के समय द्वितीया का अधिक महत्व है।

यह रहेगा शुभ मुहूर्त-

इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 व 27 अक्टूबर दोनों दिन लग रही है। 26 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से द्वितीया तिथि शुरू होगी, जो कि 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। 26 अक्टूबर को भाई दूज का त्योहार मनाना है तो बता दें कि द्वितीय तिथि प्रारंभ होने के बाद दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त बन रहा है।इस दिन दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।‌ इसके बाद शाम 05 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 07 मिनट तक गोधुलि मुहूर्त। 26 अक्टूबर को भाई दूज मनाने वाली बहनें इनमें से किसी भी मुहूर्त में भाई का तिलक करें।

27 अक्टूबर को पूजन का यह है शुभ मुहूर्त-

उदया तिथि के हिसाब से भाईदूज का पर्व 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा।‌ 27 अक्टूबर को भाईदूज शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है। 27 अक्टूबर को भाई दूज का त्योहार मनाने वाले हैं, तो सुबह 11 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भाई दूज मना सकते हैं। सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इस मुहूर्त में भाई को तिलक करना बहुत ही शुभ है।

पंडित राजेश‌ चंद्र जोशी शास्त्री ने बताया यह मुहूर्त

भाई दूजः जाने तिलक व पूजा का शुभ मुहूर्त
भाई-बहन के प्रेम का पर्व भाई दूज इस वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उनकी रक्षा, लंबी उम्र और उन्नति की कामना करती हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर से आरम्भ हो जाएगी। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारम्भ 26 अक्टूबर दोपहर 02 बजकर 42 से कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त 27 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी।

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