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सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के जरिये जनमानस को स्वस्थ्य रहने का संदेश दिया गया

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में कोविड नियमों का पालन करते हुए समस्त शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को ताड़ासन, त्रिकोणासन, स्कंध संचालन, वज्रासन, पश्चिमोत्तासन, उत्तानपादासन, सेतुबंध आसन, भुजंगासन,प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी, सितली आदि का अभ्यास करवाया गया ।अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के विद्यार्थी चंदन बिष्ट ने योगासन करवाये और इस कार्यक्रम का संचालन रजनीश जोशी ने किया।

प्रकृति के साथ अव्यवहार किया जाना सही नहीं है

इस अवसर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के माननीय कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि हमें अपनी भारतीय पद्धति को अपने जीवन में आवश्यक रूप से अपनाना होगा। प्रकृति के साथ अव्यवहार किया जाना सही नहीं है। हम भारत की प्राचीन पद्धतियों का अनुसरण करें।
प्रो.भंडारी ने कहा कि इस महामारी के दौर में हम सफल हो रहे हैं। महामारी ने हमें निर्देशित किया है कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें। कोरोनाकाल में हम सभी ने देखा कि हम प्रकृति के काफी नजदीक जुड़ गए हैं।  प्रकृति ने हमें बारम्बार हमें चेताकर यह संदेश दिया है  कि प्रकृति के विपरीत व्यवहार करने से हम अच्छे से नहीं रह सकते। इस महामारी के दौर में हम प्रकृति के पास दुबारा वापस लौट रहे हैं। हमारे जीवन संस्कार प्रकृति से जुड़ रहे हैं। योग पर बात रखते हुए उन्होंने कहा कि हम योग से जुड़ रहे हैं। योग हमारी प्राचीन पद्धति है।  योग हमें संस्कारित करता है। हम अपना चित्त शांत कर, अपने को व्यवस्थित कर योग करें। आगे कहते हैं कि  योग ही योग्यता का पैमाना है। इसलिए योग को अपने जीवन में अपनाएं। 
उन्होंने कहा कि हम स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ध्यान, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम को अपनाएं। इनको करने से हमारे फेफड़े स्वस्थ्य रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर आज योग की उपयोगिता सिद्ध हो चुकी है।

विश्वविद्यालय ने  जनजागरूकता को लेकर बेहतरीन कार्य किये हैं

माननीय कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने
विश्वविद्यालय के संबंध में उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय ने  जनजागरूकता को लेकर बेहतरीन कार्य किये हैं। जिस कारण समाज भी हमसे जुड़ना चाहता है। समाज स्वयं हमारे विश्वविद्यालय से जुड़  रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग विभाग ने देश और विदेश के 70 विश्वविद्यालयों के विद्वानों, चिकित्सकों, आध्यात्मिक गुरुओं, योगाचार्यों आदि को योग विज्ञान विभाग के कार्यक्रमों और अभियान से जोड़ा,यह सराहनीय पहल है।
उन्होंने प्रकृति को लेकर कहा कि वातावरण सकारात्मक  होगा तो कार्य करने में आनंद आएगा। हम सकारात्मक रहकर समाज के लिए समर्पण भावना के साथ कार्य करें।

अंतराष्ट्रीय योग दिवस की सभी को बधाई दी।

महामारी के दौर में शिक्षा व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि हमें इ-एजुकेशन, ई-लर्निंग को बेहतर बनाने के लिए तकनीकों से जुड़ना होगा।  हम इस आपदा के समय में  स्वयं नायल सीखें और समाज को बेहतर संदेश दें। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऊर्जावान समूह है। वह सकारात्मक दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग के साथ-साथ पत्रकारिता, मनोविज्ञान,कुमाउनी भाषा, शिक्षा, वनस्पति विज्ञान आदि विभागों ने कोरोनाकाल में समाज को जागरुक करने में  बेहतर कार्य किये हैं। 
विश्वविद्यालय के सभी विभाग बेहतर कार्य कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय कीर्तिमान गढ़ रहा है। आज हम बेहतर स्थिति में हैं। उन्होंने समस्त मीडिया बंधुओं को बधाइयाँ दी। उन्होंने सभी को योग अपनाने के लिए प्रतिज्ञा करवाई और अंतराष्ट्रीय योग दिवस की सभी को बधाई दी।

ऑनलाइन योग जागरण को लेकर किये गए कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की

योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और सप्तम अंतराष्ट्रीय योग जनजागरण अभियान के संयोजक  डॉ नवीन भट्ट ने कोरोनाकाल में ऑनलाइन योग जागरण को लेकर किये गए कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि योग विज्ञान विभाग ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। लगभग 300 योग प्रशिक्षुओं ने प्रतिदिन योग विज्ञान विभाग के पेज से लाइव आकर जनमानस को योग का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि देश भर के लोगों ने हमारे जनजागरण अभियान से जुड़ कर योग को अपने से संयोजित किया है। उन्होंने बताया कि देश-विदेश के 129 विद्वानों, मनोविज्ञानियों, चिकित्सकों,  दार्शनिकों, योगाचार्यों ने व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि इस अंतराष्ट्रीय जनजागरूकता योग जनजागरण अभियान से हमारे साथ चीन, जापान, नेपाल, इंडोनेशिया आदि देशों से मनोविज्ञानी, योगगुरु, चिकित्सक जुड़े। यह हमारे लिए उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि माननीय कुलपति जी के निर्देशन में योग विज्ञान विभाग ने इस अवसर पर ऑनलाइन प्रतियोगितायें भी आयोजित की हैं और योग गुरुओं को सम्मानित किया गया। योग के सैकड़ों ट्रेनरों द्वारा योग के प्रति जागरुकता  बढ़ाने के लिए बेहतर कार्य किया जा रहा है।

विकट दौर में योग हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है

इस अवसर पर परिसर निदेशक प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में हमारे विश्वविद्यालय के योग विभाग ने सप्तम योग जन जागरण अभियान संचालित कर जनमानस की जगाया। इस विकट दौर में योग हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।  मानसिक, आध्यात्मिक रूप से बेहतर बनाने के लिए  योग को हम अजने जीवन से जोड़ें। उन्होंने योग विज्ञान विभाग और जनमानस को अंतराष्ट्रीय योग दिवस की बधाइयाँ दी।

यह लोग शामिल हुए

इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर सुशील कुमार जोशी, कुलसचिव डॉ बिपिन चंद्र जोशी, शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक और परिसर अध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट, प्रोफेसर इला साह, प्रो निर्मला पंत, प्रो. ज्योति जोशी, प्रो रुबीना अमान, प्रो एम एम जिन्नाह, डॉ पारुल सक्सेना, डॉ कुसुमलता, डॉ संजीव आर्य,डॉ तेजपाल सिंह, डॉ ललित जोशी, डॉ पुष्पा वर्मा, प्रो. शेखर जोशी, देवेंद्र पोखरिया, डॉ भाष्कर चौधरी, प्रो. एस डी शुक्ला, दिनेश कुमार पटेल, डॉ मुकेश सामंत,डॉ नंदन बिष्ट, डॉ संदीप कुमार, हेमा अवस्थी, राहुल खोलिया, प्रो ए. एस. अधिकारी, चंदन लटवाल,श्री लल्लन कुमार सिंह, गिरीश अधिकारी, भावना अधिकारी, रजिया अंसारी, संगीत रौतेला, किरण श्रीवास्तव, योगेंद्र लटवाल, भावना बिनवाल, ललिता तोमक्याल, गीतांशी, ज्योति, राजेन्द्र बिष्ट, प्रो हरीश जोशी, डॉ देवेंद्र धामी, प्रकाश सती, विभाष कुमार मिश्रा, डॉ दीपक कुमार, आनंद सिंह, डॉ दीपक टम्टा, डॉ. अरशद खान, डॉ दलवीर लाल आदि सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी शामिल हुए।

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