पूरे देश में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। रक्षा मंत्री ने आज वर्चुअल माध्यम से सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय की ओर से शुरू किये कई तरह के देशव्यापी कार्यक्रम ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ की शुरुआत की। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि
आजादी का अमृत महोत्सव’ केवल देशवासी ही नहीं, बल्कि जल, थल, नभ, पहाड़, पठार भी हमारे साथ मनाएंगे।
पहाड़ों पर ‘पर्वत अभियान’
उन्होंने कहा कि पहले हमारे वीरों, क्रांतिकारियों को पहाड़ों में जाकर शरण लेनी पड़ती थी, लेकिन आज हम उन्हीं पहाड़ों पर ‘पर्वत अभियान’ चलाने जा रहे हैं। 75 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों को द्वीपों पर भेज दिया जाता था, लेकिन आज उन्हीं द्वीपों पर सैकड़ों से अधिक तिरंगे फहराकर हम आजादी का जश्न मना रहे हैं। जब ऐतिहासिक दांडी मार्च की वर्षगांठ के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अमृत महोत्सव‘ की शुरुआत की थी, तो उन्होंने देश के सामने एक तस्वीर खींची थी, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया था यह अमृत महोत्सव कैसे होना चाहिए।
देश की आजादी के संघर्ष का ‘गौरवशाली इतिहास‘
रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘अमृत महोत्सव’ भारत के लिए कोई नई या आधुनिक भावना नहीं है। देश की आजादी के संघर्ष का भी ‘गौरवशाली इतिहास‘ है। हमारी सैन्य परम्परा अंग्रेजों के आने से सैकड़ों साल पहले भी थी। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादापि गरीयसी‘ का विचार इसी देश से निकला है। यह विचार सिन्धु के उस छोर पर दो हजार साल पहले भी था और 2020 में सिन्धु के इस पार गलवान घाटी में भी यह विचार भारतीय सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देश में आत्मनिर्भरता का विचार पिछले 75 सालों में सबसे अधिक मजबूत हुआ है। हम कभी दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक थे लेकिन आज हालात बदल गए हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा उन्होंने कहा कि हमारे सामने अगले 25 वर्षों का लक्ष्य होना चहिए, जब 2047 में देश आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएगा। अगले 25 सालों में हमें किन संकल्पों पर काम करना है उन पर इस ‘अमृत महोत्सव‘ में संकल्पबद्ध तरीके से आगे बढ़ना है।