भारत-बांग्लादेश के बीच हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेलवे लिंक पर रविवार से व्यावसायिक गतिविधि शुरू हो गई है। कल हल्दीबाड़ी से बजरी लेकर एक मालगाड़ी एनजेपी स्टेशन होते हुए बांग्लादेश के निलफामाड़ी जिले के चिलाहाटी के लिए रवाना हुई। एनजेपी रेलवे स्टेशन के एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार 12529 नंबर की मालगाड़ी एनजेपी स्टेशन से 59 बोगियों में बजरी लेकर बांग्लादेश के लिए रवाना हुई। यह परिसेवा प्रतिदिन चलेगी।
1965 से बंद पड़ी थी यह रेलवे लाइन
हल्दीबाड़ी- चिल्हाटी रेल संपर्क सेवा 1965 तक चालू थी। यह विभाजन के दौरान कोलकाता से सिलीगुड़ी तक ब्रॉड गेज मुख्य मार्ग का हिस्सा हुआ करती थी। विभाजन के बाद भी असम और उत्तरी बंगाल जाने वाली ट्रेनें तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरती रहीं। उदाहरण के लिए, सियालदह से सिलीगुड़ी के लिए एक ट्रेन दर्शन से पूर्वी पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवेश करती थी और हल्दीबाड़ी- चिल्हाटी संपर्क मार्ग का उपयोग करके बाहर निकल जाती थीं। हालांकि 1965 के युद्ध ने भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बीच सभी रेलवे संपर्क सेवाओं को बुरी तरह से काट दिया। इसलिए भारत के पूर्वी सेक्टर में रेलवे का विभाजन 1965 में हुआ। इसलिए इस रेल लिंक को फिर से खोलने के महत्व को समझा जा सकता है।
इस रेल लाइन का उद्घाटन किया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 17 दिसंबर, 2020 को पुनः: बहाल करते हुए इस रेल लाइन का उद्घाटन किया था। इससे पूर्व मई 2015 में दिल्ली में आयोजित अंतर-सरकारी रेलवे बैठक में जारी संयुक्त घोषणा के अनुरूप रेलवे बोर्ड ने इस पूर्ववर्ती रेल लिंक को फिर से खोलने के लिए 2016-17 में हल्दीबाड़ी स्टेशन से चिल्हाटी बांग्लादेश तक 82.72 करोड़ रुपए की लागत से 3.50 किमी लंबी एक नई ब्रॉड गेज लाइन के निर्माण के लिए मंजूरी दी थी। वहीं बांग्लादेश ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए हल्दीबाड़ी स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक पटरियों की मरम्मत और उन्हें नए सिरे से बहाल करना शुरू किया। तब जाकर हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल संपर्क को पुनः: शुरू किया जा सका है।
आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में फायदेमंद होगी
यह रेल लिंक से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी। हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल मार्ग असम और पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश में पारगमन के लिए फायदेमंद है। यह नई खोली गई रेल संपर्क लाइन क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य बंदरगाहों, शुष्क बंदरगाहों और जमीनी भौगोलिक सीमाओं तक रेल नेटवर्क की पहुंच को बढ़ाएगी। इस रेल संपर्क सेवा से दोनों देशों के बीच यात्री और माल परिवहन सेवाएं भी सुगम होगी। एक बार इस मार्ग में यात्री गाड़ियों की योजना बना ली जाएगी। इस नई संपर्क सेवा से बांग्लादेश से पर्यटक दार्जिलिंग, सिक्किम, डुआर्स के अलावा नेपाल, भूटान आदि जैसे देशों में आसानी से आ-जा सकेंगे। इसके साथ ही दक्षिण एशियाई देशों की आर्थिक गतिविधियों को भी लाभ मिलेगा।