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स्वर कोकिला लता मंगेशकर के जन्मदिन पर उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से

स्वर कोकिला लता मंगेशकर को जितना प्यार देश से मिला, उतना ही दूसरे देशों में भी उनके चाहने वाले हैं। वैसे लता जी को मशहूर होने के बाद तो सभी ने जाना, लेकिन मुफलिसी के दिनों में उन्होंने किस तरह दिन गुजारे, ये बहुत ही कम लोगों को पता है। यही कारण है कि एक कार्यक्रम में जब जावेद अख्तर ने उनसे पूछा की अगले जन्म में वे क्या बनना चाहेंगीं। तो बिना देर किए उन्होंने जवाब दिया कि वह लगा मंगेशकर तो बिल्कुल नहीं बनना पसंद करेंगी। मुफलिसी के दिनों की कसक उनके दिल से होते हुए जुबां तक इस गाने से बेहतर बयां होता है। लता मंगेशकर जो आज सभी की जुबान पर है, जिन्होंने बॉलीवुड की चमक-दमक से लेकर कई उतार चढ़ाव देखे। सिनेमा जगत के गलियारों में कई सितारों को आते-जाते देखा। लेकिन लता मंगेशकर ने बॉलीवुड में जो जगह खुद के लिए बनाई वह आज भी बरकरार है।

हेमा से बन गई लता

लता मंगेशकर का आज 92वां जन्मदिन है। आज ही के दिन 1929 में मध्य प्रदेश के इंदौर में उनका जन्म हुआ।लता मंगेशकर का बचपन का नाम हेमा था। लेकिन उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने अपने एक नाटक ‘भाव बंधन’ में चरित्र लतिका से प्रभावित होकर उनका नाम लता कर दिया। लगभग 50 हजार गाने गा चुकीं लता मंगेशकर के गाने ऐसे हैं जैसे आज भी कहीं दूर से सुनाई दे तो मानों सूखे दरख्त भी हरे हो जाएं। लता जी ने जो मुकाम हासिल किया है उसके पीछे उन्होंने कितना त्याग किया है, ये किसी से छुपा नहीं है।

पतली आवाज़ की वजह से कई बार मायूस तक होना पड़ा

खेलने-कूदने की उम्र में लता जी के सिर से पिता का साया उठ गया। लेकिन भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं, इसलिए फर्ज के सामने आंखों के आंसू सूख गए। परिवार की ज़िम्मेदारी सिर पर थी, जिसके लिए उन्होंने फिल्में कीं, गानों में आवाज़ भी दी। कभी वो वक्त भी था, जब लता जी की पतली आवाज़ का हवाला भी दिया गया, लेकिन एक दिन सुरों की मल्लिका भी बनीं, फिर उनके सामने संगीतकारों की वो लाइन कभी खत्म नहीं हुई, जो उनके गायन के लिए हमेशा कतार में लगे रहे।

उस्ताद बड़े गुलाम अली खां लता जी की आवाज के कायल थे। गुलाम साहब ने लता जी की स्नेहभरी प्रशंसा पंडित जसराज के सामने भी की थी। ये वही गुलाम साहब हैं, जिनके सामने हर संगीत प्रेमी का सिर सम्मान में झुक जाता है।

चीन के साथ युद्ध के बाद लता जी के गाने ने सबको भावुक कर दिया

सिर्फ संगीत प्रेमी ही नहीं बल्कि उनकी गायकी को पसंद करने वाले हर उम्र-वर्ग के लोग शामिल हैं। बात तब कि है जब चीन के साथ 1962 के युद्ध के बीते एक साल ही हुए थे। 1963 में सैनिकों के बीच लताजी ने ऐ मेरे वतन के लोगों! जरा आंख में भर लो पानी ‘गाकर सुनाया… उस एक पल ने जैसे सुननेवालों के दिल को झकझोर कर रख दिया, हर किसी की आंखें भर आईं।

देशभक्ती से ओतप्रोत ये गीत इतना फेमस हुआ कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय बना हुआ है। इसके 50 साल बाद इस गीत की स्वर्ण जयंती सम्पन्न होने पर लता जी का यह गीत उन्हीं के मुख से सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भावुक हो उठे। पीएम मोदी ने कहा कि दीदी का यह गीत अमर है। आप वास्तव में भारत रत्न हैं, आपकी गायन की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। कुछ समय पहले ही में प्रसून जोशी के गीत मैं देश नहीं बिकने दूंगा को जब पीएम मोदी ने मंच से दुहाराया तो लोगों ने काफी पसंद किया। लेकिन जब उसे लता मंगेशकर ने आवाज दी तो गाने में चार चांद लग गए।

कई पीढ़ि‍यों को दी आवाज

लता जी गायन को पूजा की तरह मानती हैं। कहा जाता है कि गायन के समय या रियाज के वक्त वह कभी चप्पल नहीं पहनती हैं। आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि साठ और सत्तर के दशक में प्रसिद्ध अभिनेत्री तनूजा और बबीता के लिए गाने वाली लताजी ने उनकी बेटी काजोल और करीना के लिए भी स्वर दिया।

एक बार ‘आपकी आंखों में कुछ महके हुए से राज हैं’ गाने की शूटिंग चल रही थी। ‘आपकी बदमाशियों के ये नये अंदाज हैं’ के बारे में पंचम दा परेशान थे। वे गुलजार से बोले, ‘शायरी में बदमाशी कैसे चलेगी? फिर ये गीत दीदी गाने वाली हैं।’ गुलजार की सलाह पर गीत की लाइन को वैसे ही रहने दिया गया। इस शर्त पर कि लता जी को पसंद नहीं आया तो हटा देंगे। रिकार्डिंग के बाद लताजी से गीत के बारे में पूछा गया। उन्होंने संक्षिप्त सा जवाब दिया ‘हां अच्छा था।’ फिर अगला सवाल ‘वह बदमाशियों वाली लाइन?’ जवाब में सुनने को मिला, ‘अरे, वही तो अच्छा था इस गाने में। उसी शब्द ने तो कुछ अलग बनाया इस गाने को।’ याद कीजिए किस तरह लता जी ने किस तरह खनकदार हंसी में बदमाशियों वाले शब्द का इस्तेमाल किया है। ऐसा कर उन्होंने उसकी अभिव्यक्ति को चार चांद लगा दिया है।

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