टाटा सन्स समूह ने एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है। टाटा सन्स ने एयर इंडिया के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। निवेश और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग-दीपम सचिव तुहिन कांत पांडे ने शुक्रवार को नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस बोली के तहत 15 हजार तीन सौ करोड़ रुपये कर्ज चुकाने के रूप में और दो हजार सात सौ करोड रुपये नकद प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इस बोली के तहत एयर इंडिया और इसकी सहयोगी इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं देने वाली कम्पनी एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी भी मिलेगी।
सेवानिवृत्ति जैसी योजनाओं का विकल्प दे सकता है
नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने एयर इंडिया के कर्मचारियों के बारे में बताया कि टाटा सन्स एक वर्ष तक सभी कर्मचारियों को यथावत बनाए रखेगा, जबकि दूसरे वर्ष में स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति जैसी योजनाओं का विकल्प दे सकता है।
लगातार बढ़ते घाटे के कारण सरकार ने विनिवेश करने की योजना बनाई
एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण होने से पहले इसका परिचालन टाटा समूह के पास ही था। 1932 में प्रसिद्ध उद्योगपति जहांगीर रतनजी दादाभॉय टाटा ने एयर इंडिया की स्थापना की थी। 1938 में एयर इंडिया ने यात्री सेवाओं का विस्तार करके अंतर्राष्ट्रीय परिचालन शुरू किया। 1953 में सरकार ने टाटा सन्स से एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था बाद में लगातार बढ़ते घाटे के कारण सरकार ने इसका विनिवेश करने की योजना बनाई।