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सिक्किम में शहीद हुआ जवान हिमांशु घर का इकलौता कमाऊ पुत्र था, 2 वर्ष पूर्व ही सेना में हुआ था भर्ती

बहुत से युवा आर्मी में जाने का सपना देखते हैं,और उन्हें साकार करने के लिए कठिन परिश्रम भी करते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा युवा उत्तराखंड के शामिल होते हैं। जिसके लिए उत्तराखंड को वीरों की भूमि भी कहा जाता है। सिक्किम में सेना का वाहन खाई में गिरने से चार जवान शहीद हो गए थे, जिसमें दो उत्तराखंड के थे। सिक्किम में शहीद हुए जवान हिमांशु नेगी घर में अकेला कमाने वाला था। उनकी शहीद की खबर सुनते ही परिवार और गांव में शोक की लहर है।

27 मार्च 2019 को हिमांशु नेगी कुमाऊँ रेजीमेंट में बतौर सिपाही हुआ था भर्ती-

हिमांशु नेगी मूल रूप से स्याल्दे के मसमोली गांव वा निवासी है। हिमांशु 27 मार्च 2019 को कुमाऊँ रेजीमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुआ था। हिमांशु के दादा जय सिंह भी फौज में सिपाही थे। वह भी 1980 में गंगटोक में ही शहीद हुए थे। हिमांशु के माता पिता कुछ समय पूर्व ही रामनगर पीरुमदारा में घर बनाकर रह रहे हैं। 

2 जुलाई यानि कल है जन्मदिन-

हिमांशु नेगी जन्मदिन से ठीक 2 दिन पहले इस दुनिया को अलविदा कह गया। 2 जुलाई यानि कल हिमांशु का जन्मदिन था। हिमांशु कल 21 साल का होने वाला था।  हिमांशु का जन्म 2 जुलाई 2000 को हुआ था। हिमांशु के घर में उसकी दादी, माँ और पिता रहते हैं। हिमांशु चार भाई बहन है। जिसमें हिमांशु का एक भाई दिव्यांग है और दूसरे का एक हाथ खराब है। हिमांशु की एक छोटी बहन है जो काॅलेज करती है।

2 जून को छुट्टी पूरी करके सिक्किम लौटा था वापस-

हिमांशु इसी 2 जून को 45 दिन की छुट्टी खत्म होने के बाद वापस सिक्किम लौटा था। हिमांशु का पार्थिव शरीर भी गाँव लाया जा रहा है। सूचना मिलने के बाद पूरा मसमोली गांव शोकाकुल है। किसी को यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि अब हिमांशु इस दुनिया में नहीं रहा।

परिवार और गांव में पसरा सन्नाटा-

इतनी कम उम्र में हिमांशु के मौत की सूचना से उसके परिवार व गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। परिवार वालों का रो रोकर बुरा हाल है। गाँव वालों को भी विश्वास नहीं हो रहा है कि अब हिमांशु कभी वापस नहीं आएगा।

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