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कुपोषण पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले चावल को किया जाएगा फोर्टिफाइड, 2024 तक पूर्ण होगा लक्ष्य

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और मिड-डे-मील योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत 2024 तक वितरित चावल के फोर्टिफिकेशन की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि कुपोषण महिलाओं और बच्चों के विकास में एक “बाधा” है और भारत इसे और अधिक दिनों तक नहीं ढो सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के हर गरीब व्यक्ति को पोषण मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता है ।  “कुपोषण महिलाओं और बच्चों के विकास में एक बड़ी बाधा है। इसे देखते हुए विभिन्न योजनाओं के तहत बांटे गए चावल को फोर्टिफाई करने का फैसला किया गया है।’

देश के लिए क्या हैं इस कदम के मायने

सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 300 लाख टन से अधिक चावल वितरित करती है। केंद्र ने 2021-22 के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत टीपीडीएस, एमडीएम और आईसीडीएस के लिए 328 लाख टन चावल आवंटित किया है।
आपको बता दें, भारत दुनिया में चावल का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके साथ ही प्रति व्यक्ति चावल की खपत के अनुसार भारत, चावल का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। भारत में चावल की प्रति व्यक्ति खपत 6.8 किलोग्राम प्रति माह है।

इन राज्यों में शुरू हो चुका है ‘पायलट प्रोजेक्ट’

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 2019-20 से शुरू होने वाले तीन साल के लिए “चावल के फोर्टिफिकेशन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत इसका वितरण” पर एक केंद्र प्रायोजित पायलट योजना शुरू की थी। इसका कुल बजट 174.64 करोड़ रुपये था। पायलट योजना देश के 15 राज्यों के 15 जिलों में शुरू की गई थी। आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश इसमें शामिल रहे।
इस योजना के तहत चावल का मिश्रण मिलिंग स्तर पर किया जाता है।

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