अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर बसे ग्रामों में स्थानीय सांस्कृतिक संग्रहालय खोलने का प्रो० अन्नपूर्णा नौटियाल ने दिया सुझाव
पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा और हे०न०ब० केन्द्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के मध्य G-20 सम्मेलन के विषयगत उद्देश्यों को लेकर विचार-विमर्श
आज दिनांक 17.04.2023 को गो०ब० पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान एवं हे०न०ब० केन्द्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के मध्य G-20 सम्मेलन के विषयगत उद्देश्यों को लेकर विचार-विमर्श किया गया।
वसुधैव कुटुम्बकम् के संदेश के साथ-साथ भारतीय हिमालयी क्षेत्रों के लिए महत्त्व पर दिया जोर
गो०ब० पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक तथा हम्बोल्ट फैली प्रो० सुनील नौटियाल ने ई०न०ब० केन्द्रीय गढवाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० अन्नपूर्णा नौटियाल का आभार व्यक्त करते हुए पुष्प गुच्छ एवं सॉल भेंट कर स्वागत किया। इस कार्यक्रम में डे०न०ब० केन्द्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर, गो०ब० पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, आर०आई०एस० के०आई०आई०पी०एस० आई०एच०सी०यू०सी० प्रमुख संस्थानों ने प्रतिभाग किया। प्रो० सुनील नौटियाल ने हिमालय के सतत् विकास हेतु कार्यप्रणाली एवं नीति विषय पर अपना सम्बोधन देते हुए वसुधैव कुटुम्बकम् के संदेश के साथ-साथ भारतीय हिमालयी क्षेत्रों के लिए महत्त्व एवं सम्पूर्ण विश्व के लिए आजीविका एवं जलवायु हेतु विशिष्टता पर जोर दिया।
हिमालय के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने हेतु कहा गया
प्रो० सुनील नौटियाल द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं इसके प्रभावों से बचने के लिए हिमालय के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने हेतु कहा गया है। हे०न०ब० केन्द्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के कुलपति प्रो० अन्नपूर्णा नौटियाल ने बताया कि भारत पहले से ही एक विश्व गुरू रहा है क्योंकि भारत हमेशा वार्तालाप द्वारा समाधान दुबने में विश्वास रखता है। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बढ़ावा देने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर बसे ग्रामों में स्थानीय सांस्कृतिक संग्रहालय खोलने का सुझाव दिया, जिससे कि संस्कृति का आदान प्रदान हो सके तथा शान्ति व्यवस्था कायम हो सके। उन्होने कहा कि हमें अपनी विभिन्नता तथा अखण्डता का सदुपयोग करते हुए स्थानीय ज्ञान का अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के निराकरण हेतु उपयोग करना चाहिए।
भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिससे भारत में आर्थिक दर बढने की अपार सम्भावनाएं
इस कार्यक्रम का संचालन तथा आयोजन प्रो० आर०सी० सुन्दरियाल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ० सेशादी रामानुजन चारी, मनिपाल विश्वविद्यालय न अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिससे भारत में आर्थिक दर बढने की अपार सम्भावनाएं है क्योंकि भारत विश्व के लिए एक आकर्षक एवं व्यापाक बाजार है। इसी कम में प्रो० चिन्तामणि महापात्रा, कलिगा विश्वविद्यालय ने अपन व्याख्यान में बताया कि G-20 सम्मेलन की मेजबानी भारत के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि भारत G-20 सम्मेलन द्वारा स्थानीय एवं सांस्कृतिक धरोहरों द्वारा विश्वव्यापी समस्याओं के निराकरण हेतु अपना विशेष योगदान देगा।
कार्यक्रम में प्रतिभागी गण
इस कार्यक्रम में प्रो० आर०के० मैखुरी, प्रो० प्रकाश नौटियाल, प्रो० प्रशान्त कण्डारी, डॉ० जे०सी० कुनियाल, डॉ० आई०डी० भट्ट, डॉ० के० चन्द्र शेखर डॉ० महेन्द्र सिंह लोदी, डॉ० अरूण जुगरान, डॉ० लखपत रावत, डॉ० सुमित राय तथा बहुत से अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने प्रतिभाग किया।