उत्तराखंड में स्थित जोशीमठ को हेमकुंड साहिब बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार कहा जाता है, जिसे भूस्खलन-भूधंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।
संकट में जोशीमठ
जोशीमठ उत्तराखंड का पवित्र धार्मिक स्थल भी है जो समुद्रतल से 2500 से लेकर 3050 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। उत्तराखंड में जोशीमठ धीरे-धीरे दरक रहा है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। जिससे लोग दहशत में हैं। इस आपदा के बाद से स्थानीय लोगों को सरकार सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट कर रही है। किसी भी दिन जोशीमठ ध्वस्त हो सकता है यहां स्थानीय लोग घरों में आई दरारों के डर से हाड़ कंपाती सर्दी में घर से बाहर रहने को मजबूर हैं। लेकिन इसी दौरान इस घटना को नृसिंह मंदिर से जोड़कर देखा जा रहा है।
भविष्यवाणी सच होने का डर
जिसमें इस बात का भी डर है कि अगर कई युगों पहले हुई भविष्यवाणी अगर सच हुई तो केदारनाथ और बद्रीनाथ भी लुप्त हो जाएंगे। जिसमें कहा गया है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर में मौजूद कई धार्मिक ग्रंथों में कुछ ऐसी घटनाएं होने की भविष्यवाणी का जिक्र है जो युगों पहले हो चुकी है। इन ग्रंथाें में उल्लेखित है कि जोशीमठ के नरसिंह मंदिर की मूर्ति धीरे-धीरे खंडित हो जाएगी और बद्रीनाथ व केदारनाथ जैसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल लुप्त हो जाएंगे।
जोशीमठ को लेकर कलयुग की भविष्यवाणी
मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी जानकारी दी गई है। जिसमें बताया गया है कि जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर जहां भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी है। यहां मंदिर में भगवान नृसिंह की एक प्राचीन मूर्ति है। भगवान नृसिंह की मूर्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। दरअसल नृसिंह भगवान का एक बाजू सामान्य है जबकि दूसरा बाजू काफी पतला है और यह साल दर साल और पतला होता जा रहा है। मान्यता है कि जिस दिन नृसिंह भगवान का पतला हो रहा हाथ टूट जाएगा उस दिन बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जाएगा। नर नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। भगवान बद्रीनाथ के भक्त भगवान बद्रीनाथ के दर्शन उस मंदिर में नहीं कर पाएंगे जहां पर वर्तमान में भगवान बद्रीनाथ भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। क्योंकि नर-नारायण पर्वत के मिल जाने से बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। इसके बाद से भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भक्तों को भविष्य बद्री में मिल सकेगा।