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उत्तराखंड: सातवीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का हुआ आयोजन, जल को संरक्षित करने के लिए इन उपायों पर दिया गया जोर

उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की में दो दिवसीय सातवीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जलवायु परिवर्तन एवं जल प्रबंधन विषय पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के निदेशक प्रोफेसर आर प्रदीप कुमार उपस्थित रहे।

जल का करें सदुपयोग- प्रो. प्रदीप कुमार

इस मौके पर निदेशक प्रोफेसर आर प्रदीप कुमार ने कहा कि जल महत्वपूर्ण विषय है। जल के सदुपयोग से ही इसका संरक्षण संभव है। प्रोफेसर आर प्रदीप कुमार ने कहा कि जल प्राकृतिक रूप से बना है। सेल बनने से पहले जल बना है। इसमें मनुष्य का कोई योगदान नहीं है। विज्ञान का नाम देकर जल को बांधने का प्रयास किया जा रहा है जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जब हम किसी भी वस्तु का अपव्यय करते हैं तो उससे वंचित हो जाते हैं। इसलिए जल का सदुपयोग करें। पानी बचाने पर जोर देते हुए छात्रों को संदेश दिया।

जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर पड़ रहा है दुष्प्रभाव

राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की के कार्यवाहक निदेशक संजय कुमार जैन ने कहा कि जल प्रबंधन आज के समय की आवश्यकता है। क्योंकि जल की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। वहीं जलवायु परिवर्तन से तापमान में वृद्धि, वर्षा का असमान होना आदि कारणों से जल चक्र या जल संसाधनों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जिसका समाधान ढूंढने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिम और हिमनद में कमी आ रही है। हिमनद खिसक रहे हैं। इससे हिमनद झील का बनना या उनका आकार बढ़ रहा है। इसके कारण भी प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। इसलिए मैदानी एवं हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंधन पर शोध की आवश्यकता है। इस मौके पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया।

मौजूद रहे

इस दौरान संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. मनमोहन कुमार गोयल, मनोहर अरोड़ा, काल्जंग छोड़ेन, पीके सिंह, संस्थान के अन्य विज्ञानी और अन्य संस्थानों एवं विभागों से आए प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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