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उत्तराखंड: कॉर्बेट पार्क में देखा गया विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुका लकड़बग्घा,जानिये इस पशु के संरक्षण के लिए वन विभाग का क्या है प्लान

मृत जीवों को अपना भोजन बनाने वाले परजीवी पशु-पक्षियों को पर्यावरण के सफाईकर्मी माना जाता हैं। पर्यावरण की स्वच्छता के लिए जो भूमिका गिद्ध की मानी जाती है, उसी श्रेणी में कुछ अन्य पशु-पक्षी भी आते हैं।

लकड़बग्घे को माना जाता है पर्यावरण का प्रहरी

इसी तरह का एक परजीवी पशु है लकड़बग्घा। काफी समय पहले राजाजी नेशनल पार्क में उनकी काफी तादाद देखी जा सकती थी लेकिन समय के साथ इनकी मौजूदगी पार्क में लगभग समाप्त सी हो गयी है। हालांकि  समय-समय पर राजाजी नेशनल पार्क में धारीदार लकड़बग्घे के दिखने से वन विभाग की उम्मीदें फिर जगने लगी है। इसी वजह से वन महकमे ने पर्यावरण के इस प्रहरी को तलाशने और इस पर शोध करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा पार्क के निदेशक कहते हैं कि अध्ययन के बाद इनके संरक्षण की दिशा में भी कार्य किया जाएगा।जिनके लिए वन विभाग ने एक स्पेशल अभियान शुरू कर दिया है प्रोजेक्ट हायना।

कॉर्बेट नेशनल पार्क में देखा गया लकड़बग्घा

ये माना जाता है कि उत्तराखंड में लकड़बग्घे की मौजूदगी रामनगर डिवीजन और कुमाऊं में भी है। बीते कुछ वर्षों पहले कॉर्बेट पार्क में एक लकड़बग्घा कैमरे में कैद हुआ था। प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल ने बताया कि राजाजी नेशनल पार्क में अनुसंधान शाखा की तरफ से लकड़बग्घों पर सर्वे किया जाएगा और इस दौरान यह टीम लकड़बग्घा की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में उनकी संख्या और जीवन शैली को लेकर एक बेसिक डाटा एकत्रित करेगी।

कॉर्बेट की टीम ने लकड़बग्घों के संरक्षण के लिए शुरू किया अभियान

दरअसल  नेशनल पार्क में पूर्व में लकड़बग्घों की मौजूदगी को देखते हुए विभाग ने  अभियान शुरू करने का निर्णय किया है और इसके लिए पार्क प्रशासन को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक डॉ साकेत बडोला में बताया कि इस मामले में रिसर्च टीम के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। आगे उन्होंने बताया कि लकड़बग्घे को रहने के लिए कुछ खास वास स्थल की आवश्यक्ता होती है, जिसमें बच्चों के प्रजनन और उनके बढ़ने में खतरा थोड़ा कम होता है।

कैसे होते हैं लकड़बग्घे

लकड़बग्घों की उम्र 12 से 15 साल तक की हो सकती है । जबकि उत्तराखंड में पाए जाने वाले धारीदार लकड़बग्घे की ऊंचाई करीब 85 सेंटीमीटर तक हो सकती है, जबकि इसकी लंबाई 140 सेंटीमीटर तक भी हो सकती है । ये रात के समय अपने भोजन के शिकार के लिए निकलते हैं । लकड़बग्घे समूह में होते हैं और रात में यह हमलावर हो जाते हैं । धारीदार लकड़बग्घों का भोजन अधिकतर मृत जानवर या छोटे जीव होते हैं । सड़े और बदबूदार मरे हुए जानवर को भी लकड़बग्घे चट कर जाते हैं । ऊदबिलाव, गिलहरी, नेवला और खरगोश जैसे छोटे जीवों का शिकार कर इसे वह अपना भोजन बनाते हैं ।

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