03 अक्टूबर: आज से शारदीय नवरात्र शुरू, पालकी पर सवार होकर आ रही माँ दुर्गा, जानें कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

आज 03 अक्टूबर 2024 है। आज से शारदीय नवरात्र शुरु हो रहें हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से शारदीय नवरात्रि की शुरुवात हो जाती है। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना से जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है। नवरात्रि के इन 9 दिनो मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने के साथ ही उन्हें अलग-अलग व्यंजनों का भोग भी लगाया जाता है।

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह के 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही कलश स्थापना के लिए एक और शुभ मुहूर्त है, जो कि अभिजित मुहूर्त है, ये सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 47 मिनट रहेगा। इस दौरान कलश स्थापना की जा सकती है।

इस नवरात्रि पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन व प्रस्थान की सवारी का विशेष महत्व होता है। जैसा कि हर नवरात्रि पर मां दु्र्गा अलग-अलग वाहन की सवारी करते हुए आती हैं। इस बार अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आने वाली हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन इस साल पालकी पर हो रहा है, जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है। यह किसी बड़े रोग के फैलने का संकेत देता है। आर्थिक उतार-चढ़ाव आने की आशंका रहती है। कोई नया रोग जनमानस के लिए खतरनाक हो सकता है। कुल मिलाकर मां दुर्गा के आगमन की सवारी जनमानस के लिए शुभ नहीं रहने वाली है।

शारदीय नवरात्रि 2024 प्रतिपदा की तिथि

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12 बजकर 19 मिनट से होगा, और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024, दिन गुरुवार से आरंभ होंगी और इस पर्व का समापन 12 अक्टूबर 2024, दिन शनिवार को होगा।

नवरात्रि में पूजी जाने वाली देवियों को ये ख़ास रंग हैं पसंद

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान पूजी जाने वाली 9 देवियों को अपना एक खास रंग पसंद होता है। जिसे पहनकर पूजा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं।
* नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा और आराधना के लिए पीले रंग की प्रयोग किया जाता है।

इन मंत्रों का करें जाप

ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: