09 अगस्त: नाग पंचमी आज, जानें महत्व व इससे जुड़ी पौराणिक कथा

आज 09 अगस्त 2024 है। आज नाग पंचमी है। सावन के महीने में नाग पंचमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ता है। इस दिन नाग देवता की पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नाग पंचमी विनायक चतुर्थी व्रत के अगले दिन होता है। नाग पंचमी के अवसर पर नाग देवता की पूजा करते हैं और उनके आराध्य भगवान शिव की भी पूजा करते हैं।

जानें पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

जानें पूजन विधि

नाग पंचमी के देव आठ देव माने गए हैं. इस दिन में अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की उपासना की जाती है। नाग पंचमी से एक दिन पहले चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए। पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दिया जाता है। फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा की जाती है। उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित किया जाता है। पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है। सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर यह दूध सर्प को पिला सकते हैं। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।

जानें शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 09 अगस्त को मध्य रात्रि 12 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 10 अगस्त को देर रात्रि 03 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त को मनाया जाएगा।