09 जुलाई: आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन, मां भुवनेश्वरी की पूजा का विधान, जलाएं यह दीपक

आज 09 जुलाई 2024 है। आज आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन हैं। गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी की उपासना की जाती है।  हिंदू धर्म में नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना जाता है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त  आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है ।

आटे का जलाएं दीपक

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माता भुवनेश्वरी की पूजा करने के लिए उनके सामने गेहूं के आटे का दीपक जलाने से आरोग्य, समृद्धि, और ज्ञान प्राप्त होता है। इसके साथ ही शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।

मां भुवनेश्वरी को 10 महाविद्याओं में 4 स्थान प्राप्त

मां भुवनेश्वरी को संसार भर के यश और ऐश्वर्य के देवी माना जाता है। भुवनेश्वरी आदि शक्ति का पंचम स्वरूप हैं। इसी रूप में मां ने त्रिदेवों को दर्शन दिए थे। मां भुवनेश्वरी को 10 महाविद्याओं में 4 स्थान प्राप्त है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां भुवनेश्वरी ही सम्पूर्ण जगत का पालन पोषण करती हैं। उन्हें जगत धात्री भी कहा जाता है। मां भुवनेश्वरी चौदह भुवनों की स्वामिनी हैं। मां को भगवान शिव की सखी माना गया है। मां भुवनेश्वरी की पूजा लाल रंग के पुष्प, नैवेद्य, चन्दन, कुमकुम, रुद्राक्ष की माला, सिंदूर, फल आदि से करनी चाहिए।

इस तरह करें गुप्त नवरात्रि में पूजा अराधना

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ अराधना करें। सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा के दौरान माता को लोंग व बताशे का भोग चढ़ाना चाहिए। इसके साथ मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें। इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती है। और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती है।