आज 10 जनवरी 2025 है। आज विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषा की शुरुआत भारत से हुई है लेकिन आज हिंदी को पूरे विश्व में पहचान मिल चुकी है। हिंदी का वैश्विक तौर पर प्रचार करने के लिए ही विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। आजादी के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने फैसला लिया था कि हिन्दी भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के बाद ही हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने के लिए हर साल हिन्दी दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने 2006 में इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी, ताकि हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रतिष्ठा मिल सके। इस दिन का आयोजन दुनिया भर में हिंदी प्रेमियों और भाषा के प्रवर्तकों द्वारा किया जाता है।
हिन्दी का महत्व
हिन्दी प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। यह मुख्य रूप से आर्यों और पारसियों की देन है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में अनेक क्षेत्रों में प्रयास हुये हैं। हिन्दी के विकास में अनेक लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। हिन्दी भारत की सम्पर्क भाषा भी हैं। अतः हम कह सकते है की हिन्दी एक समृद्ध भाषा हैं। भारत की राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने में हिन्दी भाषा का बहुत बड़ा योगदान हैं।
क्या है इस दिन का इतिहास
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था। प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मना रहे हैं। इस दिवस को मनाने का मूल उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलवाना है।
समर्थ भाषा है हिंदी
हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। इस कारण हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। जहां अंग्रेजी में मात्र 10,000 मूल शब्द हैं, वहीं हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या 2 लाख 50 हजार से अधिक है। 10 जनवरी 1975 को नागपुर मे प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसीलिए प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। 1975 के बाद से ही विश्व मे हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनो की शुरुआत की गई थी। हिन्दी आज विश्व भाषा बनने की दिशा में अग्रसर है।