11 फरवरी: पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि आज, जिन्होंने जनसंघ को दी थी एक नई ऊंचाई, जानें उनके बारे में रोचक बातें

आज 11 फरवरी 2025 है। आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि है। 25 सितंबर 1916 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। पंडित दीन दयाल उपाध्याय का 11 फरवरी 1968 को निधन हुआ था। भारतीय जनता पार्टी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के मौके पर देशभर में 11 फरवरी को समर्पण दिवस के रूप में मनाती हैं।

बचपन से ही गरीबी और अभाव को झेला था

पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने बचपन से ही गरीबी और अभाव को झेला था। ढाई साल की आयु में पिता का साया उठ गया और सात साल की आयु में माता भी चल बसीं। माता-पिता की छत्रछाया से वंचित होकर बचपन से ही वे रिश्तेदारों के आश्रय में शिक्षा के लिए भटकते रहे। नाना के पास गये तो दस साल की आयु में नाना का भी निधन हो गया। उसके बाद मामा के घर गये तो 15 साल की आयु में मामी का निधन हो गया। 18वें साल में छोटे भाई का मोतीझरा के कारण निधन हो गया। जब दसवीं पास की तो एकमात्र सहारा नानी भी चल बसीं। बाद में ममेरी बहन के पास रहने लगे तो एम.ए. की पढ़ाई करते हुए बहन का भी निधन हो गया और इस कारण एम.ए. फाइनल की परीक्षा नहीं दे सके।

मंत्र का पालन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कर रही है

नीति निर्धारण में समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति के कल्याण का दर्शन दीनदयाल जी ने 1950 के दशक में दिया। वे कहा करते थे कि सरकार में बैठे नीति-निर्माताओं को कोई भी नीति बनाते समय यह विचार करना चाहिए कि यह नीति समाज के अंतिम व्यक्ति यानि सबसे गरीब व्यक्ति का क्या भला करेगी? इसी मंत्र का पालन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कर रही है।

समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति के कल्याण की बात

वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना साल 1951 में हुई थी। अपने राजनीतिक सफर में वे भारतीय जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। सनातन विचारधारा से संबंध रखने वाले दीन दयाल सशक्त भारत का सपना देखते थे। दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन जहां समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति के कल्याण की बात करता है वहीं प्रत्येक क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी प्रेरित करता है। उनका चिंतन देश और समाज के समग्र विकास की गीता है।