13 नवंबर: आज साल 2023 की आखिरी सोमवती अमावस्या, बन रहा यह शुभ योग, माना जाता है दुर्लभ

आज 13 नवंबर है। आज सोमवती अमावस्या है। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 12 अमवस्याएं पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है सोमवती अमावस्या। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक सोमवती अमावस्या बीते कल 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो गयी है। वही अगले दिन यानि आज 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर इसका समापन होगा।  साल 2023 में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली लक्ष्मी पूजन के नाम से जाना जाता है।  सोमवती अमावस्या पड़ने के कारण इस बार दीपावली और गोवर्धन पूजा में एक दिन का अंतराल आ गया है।

जाने मुहूर्त

सोमवती अमावस्या के दिन यानी कि 13 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 5 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान स्नान-दान करना उत्तम रहेगा। इसके अलावा इस दिन सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। जहां एक ओर सौभग्य योग 13 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। वहीं, शोभन योग ब्रह्म मुहूर्त से लेकर अमावस्या तिथि समाप्त होने तक पड़ने वाला है। साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग अमावस्या तिथि के अंत में यानी कि 14 नवंबर को सुबह 3 बजे से 7 बजे तक रहेगा।
स्नान मुहूर्त – सुबह 04.56 – सुबह 05.59
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.44 – दोपहर 12.27

जाने शुभ योग

सोमवती अमावस्या पर सौभाग्य प्रदान करने वाला सौभाग्य योग, सभी कार्य पूर्ण करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग और सुख समृद्धि वाला शोभन योग भी बन रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन इन शुभ योग का बनना बहुत दुर्लभ माना जा रहा है। सौभाग्य योग सुबह से लेकर दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। फिर शोभन योग प्रारंभ हो जाएगा, जो पूरे दिन रहने वाला है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 14 नवंबर की मध्यरात्रि 3 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 14 नवंबर की सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

करें पूजा

दीपावली पर सोमवती अमावस्या के रात में पूजन करते समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी देवी लक्ष्मी और गणेशजी के साथ जरूर करें।

सोमवती अमावस्या का महत्व

सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मितली है। साथ ही, पितरों के निमित्त दान करने से न सिर्फ पितृ दोष दूर होता है बल्कि पितृ प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद परिवार पर बरसाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी होती है।