आज 17 नवंबर 2024 है। आज रोहिणी व्रत है। यह व्रत चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में पड़ने पर किया जाता है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत को त्योहार की तरह मनाया जाता है।
भगवान वासुपूज्य की पूजा
जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं।
रोहिणी व्रत
रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लोगों के लिए आवश्यक दिनों में से एक है। व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाता है और मार्गशीर्ष नक्षत्र में रोहिणी नक्षत्र के अंत में किया जाता है। जैन समुदाय के लोग हर महीने इस व्रत को मनाते हैं, जिससे यह साल में 12 व्रत हो जाता है। जैन धर्म के अनुसार, पुरुष और महिला दोनों ही व्रत रख सकते हैं।
जानें पूजन विधि
प्रात: जल्दी उठकर स्नान करके व्रत रखा जाता है। इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर पूजा का संकल्प लिया जाता है। स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना की जाती है। उनकी आराधना करके वस्त्र, धूप-दीप, फूल, फल और नैवेद्य का भोग लगाया जाता है। इसके बाद मंदिरों में जाकर या किसी भी जरूरतमंद को दान देने का भी बहुत महत्व माना जाता है। रोहिणी व्रत पर पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्यास्त से पहले फलाहार करके रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है। जैन धर्म में रात के समय भोजन करना वर्जित है, इसलिए लोगों को सूर्यास्त से पहले फल का सेवन करना चाहिए।