17 अक्टूबर: आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित, जानिए पूजा विधि, मंत्र व कथा

आज 17 अक्टूबर है। आश्विन नवरात्र की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो‌ गई है। हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज नवरात्र का तीसरा दिन है।

मां चंद्रघंटा पूजन विधि

आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं। फिर मां चंद्रघंटा की आरती करें।

जानें मां चंद्रघंटा का स्वरूप

धर्म शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं। ये अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं। इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है। इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। भक्तों के लिए  माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है।

जानें कैसे पड़ा मां चंद्रघंटा का नाम

मां दुर्गा का तीसरा रूप हैं मां चंद्रघंटा. युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान मां चंद्रघंटा के इनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण हैं। इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती है। मां चंद्रघंटा तंभ साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है। शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं।

स्तुति मंत्र

ऐं श्रीं शक्तयै नम:
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥