आज 20 मार्च 2025 है। आज विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है है। 20 मार्च को हर साल विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य गौरैया के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके संरक्षण के लिए कदम उठाने को बढ़ावा देना है।
साल 2010 में हुई इस दिवस को मनाने की शुरुआत-
गौरैया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए साल 2010 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। पिछले कुछ समय से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है। विश्व गौरैया दिवस लोगों में गौरेया के प्रति जागरुकता बढ़ाने और उसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है। विश्व गौरैया दिवस, नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ-साथ फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन की ओर से शुरू की गई एक पहल है।
जाने इसका इतिहास-
विश्व गौरैया दिवस को मनाने की शुरुआत भारत के नासिक में रहने वाले मोहम्मद दिलावर के प्रयत्नों से हुई। दिलावर द्वारा गौरैया संरक्षण के लिए नेचर फॉर सोसाइटी नामक एक संस्था शुरू की गई थी। पहली बार विश्व गौरैया दिवस 2010 में मनाया गया था। प्रतिवर्ष पिछले कुछ सालों से 20 मार्च अर्थात गौरैया दिवस पर उन लोगों को गौरैया पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है जो पर्यावरण एवं गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं।
विश्व के विभिन्न देशों पाई जाती है गौरैया-
गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस है। यह पासेराडेई परिवार का हिस्सा है। विश्व के विभिन्न देशों में यह पाई जाती है। यह लगभग 15 सेंटीमीटर के होती है मतलब बहुत ही छोटी होती है। शहरों के मुकाबलों गांवों में रहना इसे अधिक सुहाता है। इसका अधिकतम वजन 32 ग्राम तक होता है। यह कीड़े और अनाज खाकर अपना जीवनयापन करती है।
जाने क्यों जरूरी है गौरैया-
गौरैया एक ऐसी चिड़िया है जो पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी है। इसके अलावा धर्मशास्त्र के मुताबिक गौरैया का घर की छत पर आना भी एक शुभ संकेत होता है। कुछ जानकार मानते हैं कि ये चिड़िया शांत और सदभावना का संदेश लेकर आती है। समय के साथ गौरैया की आबादी में काफी कमी आने लगी है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अब समय आ गया है कि गौरैया के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाई जाए और बताया जाए कि हम कैसे उनकी आबादी को बढ़ा सकते हैं।