आज 21 मार्च 2025 है। आज शीतला सप्तमी है। होली के बाद सातवें और आठवें दिन देवी शीतला माता की पूजा करने की परंपरा है। इन्हें शीतला सप्तमी या शीतलाष्टमी कहा जाता है। इसके अलावा इसे बासौड़ा भी कहते हैं क्योंकि इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग अर्पित किए जाता है।
जानें खास महत्व
पौराणिक मान्यता है कि शीतला माता की पूजा और व्रत करने से चेचक के साथ ही अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है। मां शीतला का उल्लेख सबसे पहले स्कन्दपुराण में मिलता है। इनका स्वरूप अत्यंत शीतल है और यह कष्ट-रोग हरने वाली हैं। गधा इनकी सवारी है और हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं। राजस्थान, मालवा, निमाड़, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में बासौड़ा पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। शीतला अष्टमी से एक दिन पहले शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है, पूजा की जाती है। यानी कि बासौड़ा पर्व 2 दिन चलता है। इस लिहाज से शीतला अष्टमी का पूजन 22 मार्च को किया जाएगा।
जानें शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि 21 मार्च 2025 को तड़के 02 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। सप्तमी तिथि का समापन 22 मार्च 2025 को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर होगा। शीतला सप्तमी की पूजा 21 मार्च 2025, शुक्रवार को की जाएगी।
पूजा मुहूर्त सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शाम 06 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
पूजन की कुल अवधि 12 घंटे 09 मिनट की है।
जानें पूजन विधि
जल्दी सुबह उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र पहनकर मंदिर जाएं। माता शीतला की फोटो या प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें। इसके बाद माता शीतला को फूल, फल व भोग लगाएं। धूप-दीप जलाए और मां की आरती उतारें। माता शीतला को प्रणाम करें।