आज 25 मार्च 2025 है। आज 25 मार्च को हरित क्रांति के जनक नॉर्मन बोरलॉग का जन्मदिन है। आज का दिन कृषि वैज्ञानिक नार्मन बोरलॉग के जन्म के लिए जाना जाता है। हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले बोरलॉग को उनके काम के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। भारत में एमएस स्वामीनाथन ने बोरलॉग के साथ मिलकर ही हरित क्रांति की नींव रखी थी।
जानें इनके बारे में
बोरलॉग का जन्म अमेरिका के आयोवा में हुआ। उन्होंने अपनी आंखों के सामने बहुत बार फसलों को बर्बाद होते देखा था। उनके दादा ने उन्हें कृषि शिक्षा के लिए प्रेरित किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1960 के दशक में उन्होंने गेहूं की बीमारियों से लड़ने वाली किस्म का विकास किया। जिसके बाद उनके छोटे से पौधे की किस्म लैटिन अमेरिका में बहुत प्रसिद्ध हो गई। जिसके बाद उन्होंने इस किस्म को भारत भेजा। भारत में हरित क्रांति जनक वैज्ञानिक डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन बोरलॉग के योगदान को बहुत अहम मानते थे। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) के गेहूं कार्यक्रम से जुड़े सदस्य एमएस स्वामीनाथन ने मई 1962 में अपने निदेशक डॉ बीपी पाल को पत्र लिखकर बोरलाग को भारत बुलाने का आग्रह किया। बोरलॉग की तकनीकों का लाभ उठाकर भारत में अनाज उत्पादन की दर जनसंख्या वृद्धि की दर से तेज हो गई। उन्हें इस असाधारण क्रांति के लिए 1970 का नोबेल शांति पुरस्कार के अलावा भारत में भी पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन
इसके अलावा 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में जन्मे स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन था। वे पौधों के जेनेटिक साइंटिस्ट थे। स्वामीनाथन को 1971 में रेमन मैग्सेसे और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्मभूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। स्वामीनाथन को एक कृषि विज्ञानी, कृषि वैज्ञानिक, प्रशासक और मानवतावादी माना जाता है। उन्होंने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया था। इस पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद मिली थी। साल 1949 में स्वामीनाथन ने आलू, गेहूं, चावल और जूट के आनुवंशिकी पर शोध करके अपना करियर शुरू किया था। भारत इस वक्त बड़े पैमाने पर अकाल के कगार पर था। देश में खाद्यान्न की कमी हो गई थी। स्वामीनाथन ने नॉर्मन बोरलॉग और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं की उच्च उपज वाली किस्म के बीज विकसित किए।